संभोग कितनी बार करना चाहिए?
सच्चाई यह है कि कितनी और कब संभोग किया जाये, इसके लिए कोई नियम नहीं बनाया जा सकता। यह बात आप अच्छी तरह से समझ लें कि संभोग तो एक शारीरिक भूख है और इसे तभी किया जाना चाहिए, जब स्त्री-पुरूष दोनों इसका पूर्ण आनंद उठाकर संतुष्ट होने की इच्छा मन में रखते हों।
कितनी बार संभोग किया जाये, यह इस बात पर निर्भर करता है कि संभोग करने के बाद पति-पत्नी को शारीरिक आनंद मिलने के साथ-साथ मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है या नहीं?
वास्तविकता यह है कि पूर्ण आनंद न मिलने के कारण उनका मानसिक तनाव बढ़ जाता है, जिसके फलस्वरूप कई प्रकार के मानसिक विकार उत्पन्न हो जाते हैं और कई बार उनके मन में सेक्स के प्रति अरूचि पैदा हो जाती है। यदि पति-पत्नी दोनों को पूर्ण आनंद मिलता है, तो इच्छानुसार अपनी शारीरिक अवस्था को देखते हुए, जितनी बार चाहें संभोग किया जा सकता है।
यदि संभोग करने के बाद एक-दूसरे के प्रति उन दोनों में कोई तनाव उत्पन्न होता हो तो उन्हें संभोग करने की संख्या बहुत कम कर देनी चाहिए। इसलिए संभोग करने की संख्या पूरी तरह से पति-पत्नी दोनों की उम्र, खानपान और संभोग के प्रति रूचि पर ही निर्भर करती है।
संभोग की उम्र
नवविवाहित जोड़े और 25-30 वर्ष की अवस्था में लोग अधिक संभोग करते हैं और ज्यों-ज्यों उम्र बढ़ती जाती है, उसके साथ ही गृहस्थी की जिम्मेदारियां बढ़ने पर प्रायः लोगों की रूचि संभोग के प्रति कम होती जाती है। लेकिन कई पति-पत्नी काफी उम्र हो जाने के बाद भी संभोग का वास्तविक आनंद प्राप्त करते रहते हैं और उनके स्वास्थ्य पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता, इसलिए इस विषय में पति-पत्नी स्वयं ही निर्णय ले सकते हैं कि कब संभोग किया जाना चाहिए तथा कितनी संख्या में करना चाहिए, जिससे उनके स्वास्थ्य पर कुछ बुरा प्रभाव न पड़े। संतुष्टि यदि एक ही बार में मिल जाये तो बार-बार संभोग न करें।
संभोग के दौरान रखें इन बातों का ख्याल-
1. कमियां ना निकालें-
जब भी पति-पत्नी संभोग का मूड बना लें, तो पूरी कोशिश करें एक-दूसरे की कमियों पर चर्चा न करें |
विशेषकर एक-दूसरे के परिवार की कमियों व गलतियों पर तो बिल्कुल भी टिप्पणी न करें।
अन्यथा केवल एक दिन का नहीं, बल्कि लंबे समय के अंतराल के लिए बात बिगड़ सकती है ।
वैसे भी मन बना लिया है तो, सेक्स का आनंद उठायें।
आपस में मिलकर खूब प्रेम करें, ताकि पूरी जिंदगी खुशहल हो जाये।
2. आनंद दें और लें-
संभोग में सबसे बड़ा महत्व जिस चीज का है, वो है ‘आनंद’।
यदि आप संभोग कर हैं और दोनों में से किसी भी एक को उसमें कोई आनंद की अनुभूति नहीं हो रही है, तो संभोग व्यर्थ है।
समान रूप से भोगे जाने वाला भोग ही वास्तव में संभोग है।
3. जोर जबरदस्ती न करें-
संभोग का आनंद लेना है, तो इसमें दोनों की स्वीकृति होना बहुत जरूरी है।
वरना एक का मजा, दूसरे के लिए केवल सजा बनकर रह जायेगा।
पति-पत्नी में से किसी भी एक का मन यदि सेक्स के लिए नहीं है, तो इसके लिए साथी पर दबाव बनाने की प्रयत्न ना करें।
इससे सेक्स मजा तो किरकिरा होगा ही, साथ ही आपसी रिश्ते भी कड़वाहट आने की संभावना बनी रहेगी।
इसके अलावा यदि दोनों मर्जी से संभोग कर रहें हो, तो भी किसी संभोग आसन को अपनाने के लिए एक-दूसरे पर प्रेशन न डालें।
हो सकता है जिस आसन में आपको आनंद आता हो, उसमें आपके पार्टनर को असुविधा होती हो।
4. फोर-प्ले करें-
संभोग के आनंद को दोगुना कर देती है फोर-प्ले की प्रक्रिया, इसलिए एकदम से टूटने की जरूर नहीं है।
धीरे-धीरे फोर-प्ले करते हुए एक-दूसरे को उत्तेजित करें और आनंद लें।
जब दोनों को लगे कि इंटरकोर्स का समय हो गया है, तो ही सेक्स के लिए आगे बढ़ें और अपने चरम को प्राप्त करें।
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