मासिक धर्म का समय से न आना,
मासिक धर्म का न आना हार्मोन असंतुलन, तनाव, गर्भावस्था, पोषण की कमी या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकता है।
स्त्रियाँ जब 13 – 14 वर्ष की हो जाती है , तभी से स्त्रियों का मासिक धर्म भी शुरू हो जाता है |
शुरू के 2 वर्षो तक तो मासिक धर्म अनियमित होते है , लेकिन 2 वर्ष के बाद भी अगर ये अनियमित है , तो यह एक समस्या बन जाती है |
प्रत्येक चार सप्ताह के बाद स्त्रियों को मासिक धर्म (Masik Dharam) आना स्वाभाविक गुण एवं स्वस्थ होने का प्रमाण है।
परन्तु गर्भाधान होने पर मासिक धर्म बंद हो जाता है।
यदि गर्भाधान के अतिरिक्त मासिक धर्म बंद हो जाता है, तो सामान्यतः इसका कारण गर्भाशय एवं अण्डाशय से संबंधित होता है।
इसमें सिरदर्द, बदन दर्द, शरीर में जलन, मस्तिष्क में गर्मी, हाथ-पैरों में जलन आदि लक्षण होते हैं।
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मासिक धर्म की अनियमितता को करें दूर-
माहवारी अनियमित होने पर एक छोटा चम्मच तुलसी का रस उतनी ही मात्रा में शहद तथा एक चुटकी काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर दिन में दो बार, दो माह तक सेवन करें, बहुत लाभप्रद उपाय है।

महिलाओं के मासिकस्राव की अनियमितता या ऋतुस्राव में ज्यादा खून बहने पर अथवा बदबूदार खून बहने में चंदनासव का प्रयोग करना चाहिए।
यदि यह ना मिल सके तो चंदन की लकड़ी के खूब बारीक चूर्ण को को ले |
उसे एक साफ तथा पतले (संक्रमण रहित) मुलायम कपड़े से बांधकर छोटी-सी पोटली को योनि मार्ग में रख लेने से फायदा होता है।
ऋतु स्राव में बाधा पैदा होने पर गुड़मार के बीजों का 3 ग्राम चूर्ण सेवन करने से फायदा होता है।
असमय रूका हुआ मासिक धर्म में कच्चा प्याज खिलाने से मासिकचक्र नियमित समय से शुरू हो जाता है।
गर्मियों में तमाम महिलाओं को मासिक धर्म में परेशानी पैदा हो जाती है।
यदि सुबह-शाम पुदीने का रस सेवन किया जाये तो मासिक धर्म सरलता से हो जाता है।
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