अण्डकोष की शिराओं का फूलना वेरिकोसील (Varicocele)-

परिचय-

अण्डकोषों की शिराओं की अस्वभाविक सूजन को ही अण्डकोषों की शिराओं का फूलना कहलाता है।

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कारण-

रोग ग्रस्त वृषण के ऊपर उभार हो जाता है, जो ऊपर से तंग और नीचे चैड़ा हो जाता है। उसमें बड़ी-बड़ी गुठलियाँ प्रतीत होती हैं। जोर से साँस लेने, खाँसने, बोलने और खड़ा होने से सूजन बढ़ जाती है। दर्द(पीड़ा) होती है, जिसकी टीसें जाँघों तक जाती हैं। रोगी चलने-फिरने में असमर्थ हो जाता है। पुरूषत्व शक्ति(मर्दाना कजोरी) स्वप्नदोष, वीर्यप्रमेह तथा शीघ्रपतन होने लगता है। समय पर चिकित्सा की व्यवस्था नहीं होने से रोगी नपुंसक भी हो जाता है।

चिकित्सा-

1. सर्वप्रथम पेट की सफाई करें। इसके लिए साधारण दस्तावर औषधियाँ दें। यदि एरण्ड का तेल 20 से 30 मि.ली. एक गिलास गर्म दूध में मिलाकर रात को सोने से पहले दें। सवेरे पाखाना आकर पेट साफ हो जायेगा। आँतों के सुददे निकल जाते हैं। आगे भी कब्ज़ न होने दें।

2. सस्पेन्सरी बैण्डेेज लगायें अथवा ढीला लंगोट बाँध दें।

3. लेड लोशन या ठण्डे पानी की कपडे़ की गद्दी रखें।

4. नित्य ठण्डे पानी से स्नान करें।

5. मैथुन(संभोग) से दूर रहें।

अण्डकोषों की शिराओं की सूजन की घरेलू चिकित्सा-

1. एरण्ड के बीजों की गिरी दूध में उबालकर अण्डकोषों पर लेप करें। नित्य रात को ऐसा करने से एक सप्ताह में लाभ हो जाता है। आवश्यकतानुसार और अधिक दिनों तक भी दे सकते हैं।

2. पुष्करमूल, महानिम्ब के बीजों की गिरी, नीम के बीजों की गिरी, मस्तगी रूमी, गुग्गल प्रत्येक 1-1 ग्राम सौंफ के अर्क में पीसकर लेप नियमित लगायें। यदि इससे लाभ न हो तो आॅपरेशन करें।

3. मेथी के बीजों का चूर्ण 5 से 10 ग्राम सुबह-शाम गुड़ के साथ दें।

4. लकजन(लाजवन्ती का एक भेद) पीसकर बांधने से लाभ होता है। लेप को सुबह-शाम बदल दिया करें।

5. कटकरंज के बीजों का चूर्ण एरण्ड के पत्तों पर डालकर शिरा की सूजन पर बांधने से लाभ होता है।

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6. छोटी कटेरी की जड़ की छाल कच्ची 15 से 20 ग्राम(सूखी 10 ग्राम) एवं 7 काली मिर्च को अच्छी प्रकार पीस, घोंटकर एक कप पानी में घोलकर नित्य क्रिया से निवृत्त होने के बाद सुबह के समय पी लें। लगातार एक सप्ताह सेवन करना आवश्यक है। पथ्य में चने के बेसन की रोटी और घृत का प्रयोग करें।

7. आम के वृक्ष के बान्दा को गोमूत्र में पीसकर लेप करें। बीच-बीच मंे सिकाई करने से शीघ्र लाभ होता है।

8. भिलावे एवं हल्दी-घिसकर लेप करें। फिर कण्डे की आग में सेंक करें लाभ होगा।

9. एरण्ड का तेल 2 चम्मच नित्य रात को दूध में मिलाकर सेवन करें। एरण्ड के तेल की मालिश भी करें।

10. मेथी के पत्तों का लेप लगाकर पट्टी बांधना लाभदायी है।

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