धात गिरने की दवा
धात रोग की जानकारी-
धात रोग व धातु रोग एक ही सेक्सुअल समस्या है जिसे अंग्रेजी में Spermatorrhea कहते हैं। इस रोग में रोगी अनिंद्रा की अवस्था(जागते हुए) में भी वीर्य स्राव का महसूस कर पाता है या फिर पूरे दिन में भी जागते हुए, रोजमर्रा के कार्य करते हुए भी लिंग के मुखाने से वीर्य जैसा पतला द्रव्य रिसता हुआ महसूस कर सकता है।
कुल मिलाकर सरल भाषा में समझा जाये तो बिना इच्छा के मल-मूत्र के दौरान हल्का सा दबाव देने पर भी लिंग से पतला लेसनुमा द्रव्य निष्कासित हो जाना धात रोग कहलाता है। कभी-कभार गंभीर अवस्था में बिना दबाव के भी अनचाहे रूप में यह स्राव होता रहता है।
धात गिरने की समस्या वास्तविक रूप में अपने आप में कोई स्वतंत्र रोग नहीं है, अपितु अन्य किसी सेक्स रोग का लक्षण मात्र है, जो इस ओर इशारा करती है कि रोगी का तंत्रिका तंत्र कमजोर हो गया है। चया-पचय की गति को नियंत्रित करने हेतु यह एक तंत्रिका विकार है।
यदि कभी-कभार धात गिरती है तो यह कोई रोग नहीं है, किन्तु सप्ताह में अगर तीन से चार बार होता है, तो यह एक गंभीर समस्या साबित हो सकती है। इसके लिए अनुभवी चिकित्सक से परामर्श लेना अनिवार्य हो जाता है, क्योंकि समय पर इलाज न मिलने के कारण समस्या बढ़ सकती है।
धात रोग के कारण-
धात रोग के लिए बहुत से कारक हो सकते हैं, लेकिन जो सबसे प्रमुख कारक है वह है किडनी से जुड़ी समस्या। इस कारण के अलावा भी बहुत से कारक हो सकते हैं जैसे-
1. स्वप्न में कुछ उत्तेजक दृश्य, जैसे सुंदर स्त्री के नग्न अंग-प्रत्यंगों को देखने से या फिर खुद को संभोग करते हुए देखकर आई उत्तेजना से अनैच्छिक रूप से वीर्यपात होना।
2. तंत्रिका तंत्र के कमजोर हो जाने से।
3. अधिक परिश्रम वाला कार्य करने से, जिससे थकान हो और शारीरिक कमजोरी के कारण।
4. किसी लंबे समय से चले आ रहे रोग के कारण दवायें लेते रहने से।
5. पुरूषांग की चमड़ी के सख्त हो जाने की वजह से।
6. अश्लील साहित्य पढ़ने व पोर्न देखने के कारण।
7. बहुत ज्यादा कामुक प्रवृत्ति का होना।
8. अधिक मात्रा में हस्तमैथुन करने से।
धात रोग में करें ये परहेज-
1. धात रोग से बचने के लिए सर्वप्रथम हस्तमैथुन से करें परहेज। रात्रि में ऐसे चीजों का सेवन न करें जो शरीर में गर्मी पैदा करते हों, जिससे उत्तेजना जागृत होती है। अश्लील फिल्मों, उत्तेजक किताबों व चित्रों के अलावा कामुक विचारों को करें खुद से कोसों दूर।
2. बाहर का बाजारू खाना बिल्कुल ना खायें। पौष्टिक आहार लें, जिससे प्रजनन तंत्र स्वस्थ और मजबूत बना रहेगा और धात रोग भी निकट नहीं आयेगा।
3. आलस्य ना करें और प्रतिदिन अपनी बाॅडी की मालिश करें। इससे शरीर की थकावट दूर होगी और शरीर में ताजगी और उत्साह बना रहेगा। इसके अलावा पूरी बाॅडी में ब्लड सर्कुलेशन सही से होने के कारण धातु रोग होने के लक्षण बहुत कम हो जाते हैं, क्योंकि मालिश पूरे शरीर में रक्त परिसंचरण को व्यवस्थित करने और इरेक्शन को भली-भांति कंट्रोल करने में सहायता करती है।
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4. धात रोग से पीड़ित व्यक्ति को एकदम टाईट वस्त्र नहीं पहनने चाहिए, विशेषकर अंडर गारमेंट्स।
5. रात्रि को सोने पूर्व रोगी को ठंडे जल से स्नान कर लेना चाहिए(मौसम के अनुसार स्नान करें, गर्मियों में ठंडे जल से और सर्दियों में गुनगुने जल से)। यह प्रक्रिया शरीर को तरोताजगी का एहसास कराती है, जिससे नींद बहुत जल्दी और अच्छी आती है। अच्छी नींद स्वास्थ्य के लिए हितकारी होती है।
6. रात को सोने से पहले किसी भी प्रकार की अश्लील किताबें न पढ़ें, मूवी न देखें, गंदे विचारों को दिमाग में न आने दें। फिर भी कुछ देखने और सुनने का मन करे, तो कोशिश करें कि धरम-करम और धार्मिक आस्था से जुड़ी चीजें ही देखें, पढ़ें और सुनें। ताकि मन में स्वच्छता बनी रहे और विचारों में शुद्धता आ सके।
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