लिंग की सुपारी की सूजन (Balanitis)-
Ling Ka Dard Door Karne Ka Aasan Desi Upchar, Balanitis
परिचय- इसे लिंगाग्र शोथ भी कहते हैं। इसमें लिंगमुण्ड में सूजन, लाली, खुजली आदि क लक्षण प्रकट होते हैं। इसे ढकने वाली त्वचा(लिंगाग्र त्वचा) भी प्रदाहित हो जाती है। उसमें भी सूजन तथा लाली के लक्षण होते हैं।
आयुर्वेदिक औषधियाँ-
1. उपदंश हर मरहम-जननेन्द्रिय की सुपारी की सूजन या शिश्न की त्वचा की सूजन में लाभदायक है। प्रतिदिन 3-4 बार लगायें।
2. जात्यादि घृत प्रतिदिन 2-3 बार लगायें।
3. कासीसादिघृत प्रतिदिन 2-3 बार लगयें।
4. नवरत्न कल्पामृत रस 1 से 2 गोली दूध के साथ सुबह-शाम लेने से रोगाणु नष्ट हो जाते हैं। प्रदाह और सूजन में लाभ होता है।
5. आरोग्यवर्धिनी बटी 2 से 4 गोली सुबह-शाम पुनर्नवादि क्वाथ के साथ दें।
देेसी योग-
1. सिनुआर के पत्रों का स्वरस 10-20 मि.ली. सुबह-शाम दें। इसके साथ-साथ करंज, नीम एवं धतूरा के पत्तों को पीसकर लेप करके रूई रखकर बांध दें।
2. नागदन्ती की त्वकछाल 3 से 6 ग्राम सुबह-शाम सिनुआर और करंज के पत्तों के रस के साथ सुबह-शाम दें।
3. पीले फूलों वाली हुर-हुर के पत्तों को पीसकर लिंग की सुपारी पर बांधने से सूजन मिट जाती है। एक घंटे बाद लेप हटा दें अन्यथा फफोले हो जायेंगे।
4. श्वेत फूलों वाली हुर-हुर के पत्तों को पीसकर लिंग की सुपारी पर बांधने से सूजन मिट जाती है। इस लेप को आधा घण्टे से अधिक नहीं लगायें। आधे घण्टे बाद सुपारी को धो लें।
5. मुण्डी(गोरखमुण्डी) के पंचाँग का स्वरस 10 से 20 मि.ली. प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से आशातीत लाभ होता है।
6. रानीकूल(मुनियारा) के जड़ का चूर्ण 3 से 6 ग्राम प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से सुपारी की सूजन मिट जाती है।
7. कमीला को तिलों के तेल में घोलकर लगाने से लाभ होता है।
8. तुम्बरू(तेजफल) के क्वाथ से प्रतिदिन 2-3 बार धोना लाभदायक है।
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