लिंग की सभी समस्या के लिए देसी उपाय

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पहला उपाय

खरासीन 10 ग्राम, जायफल 3 ग्राम, जमालगोटा शुद्ध किया हुआ 4 ग्राम, अकरकरह 3 ग्राम, बिसवासा 3 ग्राम, अफीम 1 ग्राम, रैक्टिफाइड स्प्रिट आधी बोतल, बीरबहूटी 10 ग्राम, केसर 3 ग्राम, कुचला मोटा कुटा हुआ 4 ग्राम, करनफल 3 ग्राम, असगन्ध नागौरी 4 ग्राम।

कूटकर स्प्रिट में डाल दें। प्रतिदिन बोतल हिलाकर रख दिया करें।

15 दिन के पश्चात् अच्छी तरह छान लें। सुपारी को छोड़कर शेष लिंग पर फुरेरी से लगायें।

लिंग के समस्त दोष को दूर करता है।

Ling Ki Sabhi Samasya Ke Liye Desi Upay

दूसरा उपाय

लौंग का तेल 50 ग्राम, मालकंगनी का तेल 50 ग्राम, जमालगोटा का तेल 1 ग्राम, तिलों का तेल 50 ग्राम।

उपरोक्त तीनों तेलों को तिलों के तेल में डालकर भली-भांति हिला कर सुरक्षित रख लें।

4-5 बूंदे यह तिला लिंग के ऊपर कोमलता से मलें। ध्यान रखें कि यह सुपारी, सीवन व अण्डकोषों पर न लगे।

मालिश के पश्चात् पान लपेट कर कपड़ा लपेट कर धागे से बांध दें।

इस तिला के प्रयोगकाल में सुबह के समय गर्म जल से धोने के पश्चात् ही नहा लें।

इस तिला के प्रयोग से बचपन की गलतियों से उत्पन्न लिंग विकार जैसे इन्द्री छोटी होना, टेढ़ी हो जाना, उस पर नीली नसें उभर आना, रतिक्रिया में असमर्थ हो जाना इत्यादि दोष दूर हो जाते हैं।

तीसरा उपाय 

दालचीनी का तेल, लौंग का तेल, सांडे का तेल, बीरबहूटी, जावित्री, जायफल, सरसों का तेल।

समान मात्रा में लेकर खरल करके रख लें। थोड़े से तिला की लिंग पर प्रतिदिन मालिश करें।

संभोग के समय लिंग में कठोरता, उत्तेजना पैदा करता है और लिंग ढीला नहीं होने पाता है।

चौथा उपाय

लौंग 12 ग्राम, राई का तेल 60 ग्राम, बीरबहूटी 12 ग्राम, लौंग एवं बीरबहूटी को बारीक पीसकर थोड़ा-थोड़ा तेल डालकर जोर से खरल करते रहें। जब यह औषधियां तेल में खूब अच्छी प्रकार मिल जायें, तो इसे शीशी में भरकर उबलते पानी में तीन घण्टे तक हल्की आग पर इस प्रकार लटकायें कि शीशी का मुंह पानी से बाहर रहे।

जब पानी ठण्डा हो जाये तो शीशी को निकाल कर किसी दूसरी शीशी में निथरा तेल डाल दें।

5 से 7 बूंदें तेल लिंग पर कोमलता से मलकर लिंग में शोषित होने दें।

इस तिला के प्रयोग से लिंग में अत्यधिक उत्तेजना एवं जोश उत्पन्न होता है। समागम करने पर लिंग ढीला नहीं पड़ता है। ऐसे व्यक्ति जिनकी इन्द्री लंबी एवं मोटी होने पर भी संभोग के समय उसमें उत्तेजना नहीं आती हो तो इस तिला के प्रयोग से लिंग में अत्यधिक जोश आ जाता है।

पाँचवा उपाय

अकरकरा, फिलफिल दराज़, काली मिर्च, लौंग, सोंठ, देसी अजवायन, जल, धनिया, काले धतूरे के बीज, अफीम, पोस्त, कनेर के सफेद फूल, नमक देसी, सज्जी लोटा। समान वज़न में कूटकर आक के 4 गुना दूध में खरल करके 6-6 ग्राम की टिकिया बनाकर टिकियों से तिल्ली का तेल दोगुना लेकर धीमी आंच पर इतना पकायें कि तेल काला हो जाये।

टिकिया निकाल कर फेंक दें। इस तेल का सोलहवां भाग रोगने गन्धक आतिशी मिला लें। लिंग का टेढ़ापन, पतलापन, कमज़ोरी आदि लिंग दोष रखने वाले लोगों को केवल चार बूंदे लिंग पर मालिश करके मक्खन की मालिश करायें।

छठा उपाय

तिलों का तेल 120 ग्राम को कढ़ाई में डालकर आग पर रखें। इसी में 60 ग्राम चमेली के पत्तों का स्वरस तथा 20-20 ग्राम कड़वा कुठ, सुहागा तथा मैनसिल भी पीस-छानकर डाल दें। फिर आग पर पकायें।

जब चमेली का रस जल जाये तो तेल को उतार कर शीशी में रख दें। इस तेल को शिश्न की सीवन तथा सुपारी को छोड़कर शेष भाग पर हर दूसरे दिन आधा घण्टा तक मलते रहने से 4 दिन में लिंग का टेढ़ापन दूर हो जाता है तथा उसमें कठोरता आ जाती है।

हल्के हाथ से मालिश करें अन्यथा उत्तेजना आकर वीर्यपात हो सकता है।

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सातवा उपाय

बिना रेशे की सोंठ का एक टुकड़ा लेकर शहद में घिसकर लेप करें। ऊपर से पान या अरण्ड का पत्ता गर्म करके बांध दें। सुबह खोल दिया करें। देखने में यह मामूली चीज है, परन्तु इन्द्री को उत्तेजित करने में विशेष वस्तू है।

आठवा उपाय

हींग को शहद में पीसकर रात को लिंग पर लेप करें। उपरोक्त विधि से पट्टी बांधें।

कुछ दिन के प्रयोग से इन्द्री की मुर्दा नसों में जान पड़ जाती है।

नौवा उपाय

इलायची का तेल 3 भाग, काफूर 1/3 भाग, चन्दन का तेल 4 भाग।

सर्वप्रथम दोनों तेल मिलाकर उसमें काफूर घुल जाने पर थोड़ी-थोड़ी कज्जली डालकर एक घण्टा तक जोर से खरल करके रख लें।

यह तेल उन लोगों के मालिश करने के लिए है जिनका वीर्य रतिक्रीड़ा आरम्भ करते ही स्खलन हो जाता हो।

सुपारी में संज्ञा की अधिकता हो, लिंग पतला, टेढ़ा, छोटा और कमज़ोर हो।

दिन में 1-2 बार लिंग पर निरंतर मलते रहने से उपरोक्त दोष नष्ट हो जाते हैं।

हस्तमैथुन से लिंग का सत्यानाश करने वालों के लिए यह तिला सर्वश्रेष्ठ है।

एक ही सप्ताह में स्नायुविक सुस्ती दूर हो जाती है। छाला व जलन भी नहीं होती है।

दसवा उपाय

मीठा तेलिया, घोंघची सफेद की गिरी, जमालगोटा, कुचला का चूर्ण प्रत्येक 20 ग्राम, हड़ताल तबकी 10 ग्राम, कनेर की जड़, असगन्ध नागौरी, तज, हरमल के बीज प्रत्येक 40 ग्राम। तमाम को मोटा कूटकर भैंस के 6 सेर दूध में पकायें। जब 4 सेर दूध रह जाये तो उतार कर ठण्डा करें और दही जमा लें। सुबह मक्खन निकाल लें। प्रतिदिन रात को लिंग पर लगाकर ऊपर से पान के पत्ते बांध दें।
निम्न तिला के मलने से लिंग कठोर एवं शक्तिशाली बनता है, मर्दाना कमज़ोरी को शक्ति देता है। ठण्डे स्वभाव वालों के लिए लाभप्रद है।

इग्यारवा उपाय

बादाम का तेल, दालचीनी का तेल, जमालगोटा का तेल, लौंग के तेल तथा पिस्ते का तेल। समान मात्रा में लेकर भली-भांति मिला लें। रात्रि में सोने से पूर्व एक बूंद यह तिला लिंग पर सीवन व सुपारी बचाकर मल दिया करें। तत्पश्चात् ऊपर से तिल के तेल से चुपड़ा हुआ पान गर्म करके बांध दें। इस तिले के प्रयोग से शिश्न का टेढ़ापन, पतलापन एवं असमानता आदि दूर होकर लिंग शक्तिशाली बन जाता है।

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