लिंग की समस्या

बचपन की गलतियों व जवानी के जोश में अक्सर पुरूष अपनी सेक्सुअल लाइफ से खिलवाड़ कर बैठते हैं, जिसका खामियाज़ा उन्हें विवाह के बाद भुगतना पड़ता है। जैसे नामर्दी, शीघ्रपतन, विशेषकर लिंग संबंधी विकार उत्पन्न हो जाते हैं, जिस कारण वैवाहिक जीवन की खुशियों पर ग्रहण लग जाता है।
आइये इस हिंदी लेख में जानते हैं शादी से पहले व बाद की कमजोरियों के इलाज और लिंग विकार दूर करने के उपायों के बारे में!

Ling Ki Samasya

देसी व आयुर्वेदिक चिकित्सा-

देसी और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्राचीन भारतीय उपचार पद्धति है, जो जड़ी-बूटियों, प्राकृतिक तत्वों और संतुलित जीवनशैली पर आधारित है। यह बिना किसी दुष्प्रभाव के शरीर को भीतर से स्वस्थ बनाती है। पंचकर्म, योग, और घरेलू नुस्खे इसके महत्वपूर्ण अंग हैं, जो संपूर्ण स्वास्थ्य सुधार में सहायक होते हैं।

1. मालकंगनी का तेल 10 मि.ली., इत्र गुलाब 5 मि.ली., मस्तगी रूमी 5 ग्राम तथा अकरकरा 5 ग्राम।
अकरकरा और मस्तगी रूमी का चूर्ण बनाकर कपड़छान कर लें तथा इत्र गुलाब व मालकंगनी का तेल मिलाकर दो दिन तक खरल करें।

शादी से पूर्व एवं पश्चात् की कमज़ोरी के लिए लाभकारी है।

सुपारी व सीवन को छोड़कर लिंग के बीच के भाग पर मालिश करें।

2. जैतून का तेल 30 मि.ली., प्याज का रस 50 मि.ली., मालकंगनी का तेल 20 ग्राम, बीरबहूटी 20 ग्राम। सबको मिलाकर आग पर रखें। जब पानी सूख जाये तो छान लें। सर्दी के मौसम में प्रयोग करें।
इसकी मालिश से इन्द्री का टेढ़ापन, पतलापन और ढीलापन एवं कमज़ोरी दूर हो जाती है। शादी से पहले तथा बाद की कमज़ोरी में लाभप्रद है।

3. सरसों, अरण्ड की गिरी प्रत्येक 10 ग्राम। कूट-छानकर तिल्ली के तेल 50 मि.ली. में मिलाकर रख लें।

लिंग पर सोते समय मालिश करें।

शादी से पहले तथा बाद की कमज़ोरी में अति फायदेमंद साबित होता है।

4. नारियल की गिरी 7 ग्राम, हल्दी 5 ग्राम, हाथी दाँत का बुरादा। कूटकर दो पोटलियाँ बना लें।

इनको भेड़ के दूध या शुद्ध तिल्ली के तेल में गर्म करके लिंग पर मध्य भाग पर टकोर करें।

शादी के पहले तथा बाद की कमज़ोरी में लाभ पहुंचाता है यह योग।

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5. काले तिल एवं गोखरू प्रत्येक 15 ग्राम को पीस छान लें। फिर इस चूर्ण को एक लीटर गाय के दूध में पकायें। जब खोया बन जाये तो खा लें। यह एक मात्रा है। इस प्रकार के खोये को 41 दिन तक खाने से लिंग के ढीलेपन व शिथिलता में आराम पहुंचता है।

6. बेलपत्र के स्वरस में शहद मिलाकर शिश्न पर लेप करने से शिश्न पुष्ट तथा बलवान हो जाता है।

7. सुहागे को पीसकर शिश्न पर लेप करने से वह पुष्ट, मोटा तथा बलवान हो जाता है।

8. अरण्ड के बीज 10 ग्राम, तिल, पुराना गुड़, गिरी बिनौला, पुराना गिरी गोला प्रत्येक 10 ग्राम, कुठ, जावित्री, जायफल, अकरकरा, प्रत्येक 6 ग्राम, शहद 20 ग्राम। इन सबको कूट-पीसकर साफ कपड़े में रखकर पोटली बना लें। फिर धीमी आग पर थोड़ा-सा बकरी का दूध उबाल कर उस गर्म दूध में उक्त पोटली को डुबोकर शिश्न की सुपारी को छोड़कर शेष भाग पर पोटली से सेंक करें।
इस योग को 11 दिन तक करते रहने से शिश्न का ठंडापन दूर हो जाता है।

9. शिश्न छोटा हो तो सरसों, पीपल, काली मिर्च, कुठ, बड़ी कटेरी, तगर, असगन्ध तथा अपामार्ग कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। फिर दूध घोलकर शिश्न पर लेप करने से शिश्न की वृद्धि होती है।

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