शीघ्रपतन का इलाज 

शीघ्रपतन क्या है?

Premature Ejaculation, Shighrapatan Ka Ilaj, Early Discharge

शीघ्रपतन पुरूषों की एक ऐसी सेक्सुअल प्राॅब्लम(सेक्स समस्या) है, जिसमें अपनी पत्नी या किसी स्त्री के साथ संभोग के दौरान लिंग प्रवेश के पूर्व या तुरन्त बाद वीर्य स्खलित हो जाता है, जिस कारण संभोग अधूरा रह जाता है। शीघ्रपतन के कारण न तो पुरूष को आनंद आता है और न ही महिला पार्टनर को ही पूरी तरह संतुष्टि मिल पाती है। कुछ ही क्षणों में या फिर फोर-प्ले के दौरान ही वीर्यपात हो जाने से पुरूष को स्त्री के सामने शर्मिन्दा होना पड़ता है। बार-बार यही समस्या आने से पत्नी भी पति से घृणा करने लगती है, क्योंकि उसकी प्यास अधूरी रह जाती है।

क्यों होता है शीघ्रपतन?

Shighrapatan Ka Ilaj

शीघ्रपतन के होने के पीछे कई वजह हो सकती हैं जैसे- शराब(मदिरा) का अधिक सेवन करना, धूम्रपान करना, अश्लील वातावरण में अधिक रहना, बहुत अधिक कामुक प्रवृति का होना, बचपन की गलतियों के कारण, वीर्य का पतलापन, वीर्य विकार, स्तम्भन शक्ति कम होना, हस्तमैथुन की लत यह सबसे मुख्य कारण है शीघ्रपतन का। इसके अलावा जल्दबाजी में किया गया सेक्स या फिर हड़बड़ी व किसी चिंता या डर में किया संभोग भी शीघ्रपतन का कारण हो सकता है।

घरेलू उपायों से करें शीघ्रपतन दूर-

अश्वगंधा और मिश्री के प्रयोग से आप पा सकते हैं शीघ्रपतन की समस्या से छुटकारा।

इसके लिए आपको करना ये है कि अश्वगंधा और मिश्री की समान मात्रा लेकर इन्हें आपस में मिला लें।

अच्छे से मिलाने के बाद प्रतिदिन सुबह-शाम गुनगुने दूध के साथ इसका सेवन करें।

जल्दी ही फरक नजर आयेगा।

वीर्य का बहुत अधिक पतला होना भी शीघ्रपतन की एक वजह हो सकती है, इसलिए वीर्य को गाढ़ा करने की आवश्यकता है। इसके लिए मूसली पाउडर की 4 से 5 ग्राम मात्रा प्रातःसायं दूध के साथ लेने से फायदा मिलता है।

जामुन की गुठली को सुखाकर इसका बारीक चूर्ण तैयार कर लें। इस चूर्ण की यदि प्रतिदिन 3-3 ग्राम मात्रा का सेवन किया जाये तो शीघ्रपतन होना समाप्त हो जाता है।

आयुर्वेद में छिपा है हर रोग का इलाज। शीघ्रपतन की समस्या के लिए भी आयुर्वेद में बहुत विकल्प हैं जैसे- अश्वगंधा, मकरध्वज, कामिनी विद्रावण रस, जाती फलादि चूर्ण, चंदनादि पाउडर। ये सभी औषधियाँ जब भी प्रयोग करें, अनुभवी चिकित्सक से परामर्श लेकर ही करें।

काउंसलिंग :

बहुत बार ऐसा भी होता है कि रोगी केवल अपने भ्रम या बेकार के वहम के कारण खुद को रोगी मान लेता है। शीघ्रपतन के मामले में भी ऐसा कई बार देखा गया है कि व्यक्ति को वास्तव में शीघ्रपतन की समस्या नहीं होती है, बस केवल वह स्वयं ही ऐसी विचारधारा बना लेता है। या फिर मानसिक स्थति या वातावरण के अनुसार शीघ्रपतन होता है और उसे लगता है वह रोगी हो चुका है। इसी प्रकार के जितने भी भ्रम व गलतफहमियाँ हैं |

इनसे काउंसलिंग द्वारा निजात पाया जा सकता है।

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