शीघ्रपतन की अचूक आयुर्वेदिक औषधियाँ

Shighrapatan Ki Achuk Ayurvedic Aushadhiyan, Ayurvedic treatment of Premature Ejaculation

आशा की विपरीत एकाएक या काफी कम समय में मैथुन पूर्व या मैथुन के दौरान वीर्य निकल जाना शीघ्रपतन रोग कहलाता है।

इस रोग से ग्रस्त पुरूषों को स्त्रियां पसंद नहीं करतीं।

शीघ्रपतन का रोगी स्त्री को संतुष्ट नहीं कर पाता।

छोटी कच्ची आयु से ही मैथुन की आदत पड़ जाना, हस्तमैथुन की आदत, गुदामैथुन की आदत, उतावलेपन से मैथुन करना, भय ग्रस्त होकर मैथुन करना आदि विशिष्ट कारण ऐसे हैं, जो रोगी को शीघ्रपतन का शिकार बना देते हैं।

Shighrapatan Ki Achuk Ayurvedic Aushadhiyan

शीघ्रपतन का सीधा संबंध मस्तिष्क से होता है।

रोगी के मन में यदि यह विचार बैठ जाये कि यह वह ज्यादा देर मैथुन नहीं कर पायेगा, तो निश्चय ही शीघ्रपतन होकर रहेगा।

अतः यह विचार ही नहीं आने देना चाहिए और बिना किसी चिंता-तनाव के निर्भय होकर मैथुन करना चाहिए।

जो लोग सारे संसार, व्यवसाय कार्य के तनाव आदि को भूलकर मैथुन करते हैं, वे निश्चय ही सफल मैथुन क्रिया समन्न कर आनंद एवं तृप्ति प्राप्त करते हैं।

शीघ्रपतन की रोकथाम के लिए नीचे अति उपयोगी आयुर्वेदिक योग उल्लेख किये जा रहे हैं।

सभी योग सर्वोत्तम शक्तिप्रद हैं, इनमें से कोई भी एक अपनी सुविधा एवं विवेक से चुनकर रोगी को प्रयोग करायें।

निम्नांकित योग आजमाये हुए अर्थात् परीक्षित हैं।

पहला योग

जावित्री 1 ग्राम, पिप्पली 1 ग्राम, जायफल 1 ग्राम, अम्बर 1 ग्राम, दालचीनी 1 ग्राम, अकरकरा 1 ग्राम, नेपाली कस्तूरी 2 ग्राम, सिंगरफ 1 ग्राम, सौंठ 2 ग्राम, असगंध नागौरी 4 ग्राम, मोती 1 ग्राम, लौंग 3 ग्राम, केसर 1 ग्राम, शंकाकुल 6 ग्राम, अफीम 1 ग्राम, शुद्ध कुचला डेढ़ ग्राम।

विधि- उपर्युक्त सभी औषधियों को घोंट-पसीकर एक जान कर लें।

इस योग की प्रभावशक्ति प्रबल होती है।

यह तीव्र गति से असर करता है और शीघ्रपतन रोग समूल नष्ट कर रोगी को पूर्ण स्वस्थ बना देता है।

दूसरा योग-

भांग का चूर्ण 50 ग्राम, शुद्ध पारा 3 ग्राम, अभ्रक भस्म 3 ग्राम, शुद्ध गंधक 3 ग्राम, चांदी भस्म 3 ग्राम, सोनामाखी भस्म 3 ग्राम, स्वर्ण भस्म 3 ग्राम, लौह भस्म 1 ग्राम, बंशलोचन 12.5 ग्राम।

विधि- उपर्युक्त समस्त औषधियों को खरल करें। जब समस्त औषधियां भली-भांति घोंट-पीसकर एक जान हो जायें, तब उसमें भांग का काढ़ा डालते हुए घोंटते जायें। जब गोलियां बनाने लायक हो जाये तब 125-125 मि.ग्रा. भार की गोलियां निर्माण कर रख लें।

यह 1-1 गोली दिन में 1-2 बार अथवा आवश्यकतानुसार सेवन करके दूध पीने की सलाह लिखें।

दूध से आशातीत लाभ शीघ्र मिलता है।

यह गोली स्तम्भक तथा वीर्यवर्द्धक है। इसके प्रयोग से वीर्य गाढ़ा होता है।

स्तम्भन शक्ति बढ़ती है। नपुंसकता का नाश हो जाता है।

रोगी की मैथुन सामथ्र्य शक्ति बढ़ती है। शिश्न के विकार भी इसके सेवन से दूर हो जाते हैं।

तीव्रता होने पर 2 गोलियां दिन में 1-2 बार सेवन करायें। यह योग 40 दिन तक सेवन करायें।

तीसरा योग-

तुलसी के बीज 24 ग्राम, मिश्री 27 ग्राम, अकरकरा 3 ग्राम।

विधि- यह अति तीव्र शक्तिशाली प्रभाव उत्पन्न करने वाला योग है।

इसके प्रभाव से नपुंसकता, शीघ्रपतन, शिश्न के तमाम विकार नष्ट हो जाते हैं और रोगी पूर्ण समर्थ तथा शक्तिशाली हो जाता है।

यह अफीम रहित योग है, लेकिन अफीमयुक्त योगों से कहीं अधिक लाभदायक सिद्ध होता है।

इसके सेवन के बाद कितना भी मैथुन किया जाये वीर्य स्खलित नहीं होता।

लेकिन जैसे ही नींबू का रस पिया जायेगा, वीर्य स्खलित हो जायेगा।

चौथा योग-

गूलर का गोंद, पलाश का गोंद, फ्लाश की छाल, भुना चना, नर्गिस का गोंद, सफेद शक्कर और मौलसिरी की गोंद प्रत्येक 12-12 ग्राम लें।

विधि- उपर्युक्त समस्त औषधियां एकत्र कर बारीक पीसकर चूर्ण बना लें और किसी साफ-सुथरा कांच शीशी में बंद करके सुरक्षित रख लें। 2-3 ग्राम की 1-1 मात्रा दिन में 2 बार अथवा आवश्यकतानुसार सेवन करने का निर्देश देने से आशातीत लाभ होता है।
लाभ- यह अति उपयोगी, असरकारक एवं श्रेष्ठ प्रभाव उत्पन्न करने वाला अद्भुत योग है, जो तेज गति से असर करता है।

इसके प्रयोग से स्तम्भन शक्ति का विकास होता है।

यह वीर्यवर्धक भी है। पतले वीर्य को यह गाढ़ा भी करता है।

इसके प्रयोग से कमजोर पुरूष बलवान हो जाते हैं तथा आशातीत मैथुन आनंद तृप्ति प्राप्त करते हैं।

पांचवा योग-

जायफल 10 ग्राम, अफीम 10 ग्राम, जावित्री 10 ग्राम, केसर 10 ग्राम, छोटी इलायची बीज 10 ग्राम, लौंग 10 ग्राम, अकरकरा 10 ग्राम, भीमसेनी कर्पूर 3 ग्राम।

विधिउपर्युक्त समस्त औषधियां खरल करें। घोंटने के लिए काला खरल प्रयोग करना चाहिए। जब सभी औषधियां घोंट-पीसकर एक जान हो जाये तो पान का रस डालकर पुनः 12 घण्टे तक घोंटे। घोंटने के लिए मजबूत हाथों का प्रयोग करना चाहिए। कमजोर हाथों से घोंटना उचित नहीं है।

जब भली-भांति घुट जाये तथा गोलियां बनाने लायक बन जाये, तब 10 मि.ग्रा. की गोलियां बनाकर शीशे में बंद करके सुरक्षित रख लें।

यह गोली तीव्र स्तम्भक होती है। यह नपुंसकता का भी नाश करती है।

इसके सेवन से मैथुन शक्ति बढ़ जाती है। गोलियों को छाया में सुखाना चाहिए। यह वीर्यवर्धक है।

वीर्य को गाढ़ा कर शक्तिशाली बनाने वाली अति गुणकारी यह गोली प्रयोग कराने से रोगी बलवान एवं शक्तिशाली हो जाता है।

सेवन विधि- 1-1 गोली दिन में 2 बार अथवा आवश्कतानुसार सेवन कराने का निर्देश दें।

गोली सेवन करने के उपरान्त दूध पीने का भी निर्देश दें। दूध में मिश्री मिलाकर देना चाहिए।

मैथुन के एक घण्टा पूर्व प्रयोग करने से आशातीत लाभ प्राप्त होता है।

छठा योग-

गाजर के बीज 3 ग्राम, काली तुलसी के बीज 6 ग्राम, देसी अजवायन 250 ग्राम, ऊद गर्को 6 ग्राम, लौंग 3 ग्राम, जावित्री 6 ग्राम, फिटकरी डेढ़ ग्राम।

विधि- उपर्युक्त सभी औषधियां घोंट-पीसकर छान लें।

इसके उपरान्त कुल औषधियां का तीन गुना शहद चूर्ण में मिलाकर माजूम बना लें।

यह माजूम नपुंसकता नाशक है।

शीघ्रपतन दूर करके रोगी को समर्थ बना देता है। इसके प्रयोग से वीर्य गाढ़ा होता है।

गाढ़ा हो जाने के उपरान्त वीर्य की शक्ति बढ़ जाती है।

इसका प्रभाव अमृततुल्य रामबाण सिद्ध है। 4-4 ग्राम माजूम दिन में 2 बार सुबह-शाम सेवन करने का निर्देश दें।

इस माजूम को वर्ष में कम से कम 2-3 माह अवश्य सेवन करना चाहिए।

इसके सेवन से आमाशय-अति सबल होती हैं।

कृमियों का नाश होता है। गुर्दे ताकतवर बन जाते हैं। खाया-पीया हज़म होने लगता है।

बल और पुरूषार्थ बढ़ाने वाला यह माजूम जो पुरूष सेवन करता है, वह निश्चय ही स्त्री को तृप्त कर उसको प्रसन्न एवं संतुष्ट रखता है।

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