कष्टरज, कृच्छार्तव, मासिकधर्म कष्ट से आना
(Dysmenorrhoea)
Masik Dharm Me Dard Door Karne Ke Desi Upay, Menstrual cramps, Menstrual Cycle
परिचय-
मासिकधर्म आरम्भ होने से कुछ दिन पहले या मासिकधर्म आरम्भ होने के के समय पेण्डू में दर्द आरम्भ होकर तमाम शरीर में दर्द होता है। रोगिणी को कष्ट अधिक होता है। इस प्रकार के कष्ट के साथ होने वाले रजःस्राव को ‘कष्टरज’ कहते हैं।
मुख्य कारण-
इसके अनेक कारण हैं जिनमें निम्न मुख्य हैं-
गर्भाशय में अर्बुद का बनना, गर्भाशय का मुड़ जाना, गर्भाशय या डिम्बग्रंथियों में रचानत्मक विकृति, हिस्टीरिया से ग्रस्त होना, कामला, गर्भाशय का स्थानच्युति, ऋतु के समय , अति मानसिक तनाव, सर्दी लग जाना आदि। इनमें से एक या अधिक कारणों से कष्टरज का होना संभव है।
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लक्षण-
पेण्डू वस्ति गह्नर प्रदेश में अति पीड़ा होती है, जो फैलकर कमर और जांघ तक पहुंच जाती है। साथ ही सिरदर्द, आलस्य, किसी काम में मन न लगना आदि लक्षण प्रकट होते हैं। यह पीड़ा मासिकधर्म जारी होने के दिन से 1-2 दिन या एक सप्ताह पहले से ही प्रारम्भ हो जाती है, लेकिन मासिकधर्म जारी होते ही या तो बंद हो जाती है या कम हो जाती है। कुछ स्त्रियों में स्राव जारी होने से कुछ घण्टे पहले यह पीड़ा प्रारम्भ हो जाती है। यह दर्द कभी कम तो कभी अधिक होता है।
परिणाम-
समय पर चिकित्सा नहीं की जाये तो जरायु संबंधी अनेक कष्ट हो जाते हैं, जिनमें रक्त प्रदर, रजोरोध, श्वेत प्रदर, पुराना जरायु, प्रदर अनुकल्प रजः आदि मुख्य हैं।
अपथ्य-
1. आहार या पेय रूप में खट्टे पदार्थ न लें।
2. पीड़ा के समय बोतल में गर्म पानी भरकर पेण्डू पर लुढ़कायें।
3. मोटी रोटी की आकृति, गीली मिट्टी की बनाकर तवे पर गर्म करके पेण्डू पर दर्द के समय रखें।
4. गर्म पानी का बस्ति स्नान(गर्म पानी के टब में बैठना) हितकर है। अतः ऐसा प्रतिदिन 2-3 बार दर्द के समय करें।
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देसी योग-
1. रक्त की कमी हो तो रक्तवर्धक औषधियों को दें।
2. हीरा कसीस 750 मि.ग्रा., एलवा 750 मि.ग्रा., इलायची के बीज 1500 मि.ग्रा.। सबका चूर्ण बनाकर शहद का योग देकर 12 गोलियाँ बना लें।
1 गोली सुबह-शाम भोजन के बाद दें। इससे रक्त की वृद्धि होगी। मासिकधर्म के कष्ट दूर होंगे।
3. एरण्ड के पत्तों के क्वाथ में साफ कपड़ा भिगोकर पेण्डू पर सेंक करें।
4. एरण्ड के गर्म-गर्म क्वाथ में साफ कपड़ा भिगोकर पेण्डू पर सेंक करें।
5. रीठा के छिलकों को सिल(पत्थर) पर बारीक पीसकर बत्ती बनाकर गर्भाशय के मुंह में रखने से मासिकधर्म जारी हो जाता है।
6. कलौंजी आधा से एक ग्राम सुबह-शाम गुड़ के साथ खाकर गर्म पानी पीने से मासिकधर्म कष्ट से आना ठीक हो जाता है और मासिकधर्म चालू हो जाता है।
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7. कपास की जड़ का क्वाथ प्रतिदिन 2 से 50 मि.ली. प्रति मात्रा देने से मासिकधर्म कष्ट से आना ठीक हो जाता है।
8. बाँस के पत्ते तथा कोमल गाँठ का क्वाथ पीने से गर्भाशय की शुद्धि एवं आर्तव की पीड़ा दूर हो जाती है।
9. खुरासानी की कुटकी आधा से एक ग्राम प्रति मात्रा शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से आर्तव यानी मासिकधर्म के स्राव में वृद्धि होती है।
10. एकपुतिया लहसुन की कल्क घृत में भूनकर शहद के साथ सेवन करने से आर्तव(मासिकधर्म) की शुद्धि होती है।
11. मासिकधर्म की पीड़ाहरण के लिए एक चावल के बराबर शुद्ध कपूर, चीनी या बताशे में डालकर सुबह-शाम देकर ऊपर से पानी पिलायें।
12. अशोक की छाल 10 से 20 ग्राम नित्यक्षीर पाक बनाकर(दूध में उबाल कर) प्रतिदिन सुबह पीने से सब प्रकार के रजोविकार दूर हो जाते हैं।
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