नपुंसकता का इलाज
इस रोग में पुरूष अपनी पत्नी या वश्यमान स्त्री को पूर्ण अथवा आशिंक रूप से यौन सुख प्रदान करने में असमर्थ हो जाता है। उसके लिंग में पूर्ण उत्थान नहीं आता है अथवा उत्थान आता ही नहीं है। लिंग शिथिल हो जाता है। वीर्य अति शीघ्र निकल जाता है। वह चाहकर भी अपनी पत्नी को यौनसुख नहीं दे पाता है। लिंगोत्तेजना का अभाव, वीर्य अति शीघ्र बिना पूर्ण लिंगोत्थान के ही निकल जाना, वीर्य अल्प मात्रा में निकलना, लिंग का शिथिल रहना इस रोग के मुख्य लक्षण हैं।
सरल शब्दों में नपुंसकता-
जब कोई पुरूष किसी स्त्री के साथ संभोग करना चाहे और उसके लिंग में तनाव पूरी तरह नहीं आये या फिर आये ही नहीं, तो यह नामर्दी व नपुंसकता कहलाती है। दूसरी अवस्था में पुरूष के लिंग में कुछ पल के लिए तो तनाव आता है, किन्तु स्त्री की योनि में लिंग प्रविष्ट कराते ही तुरन्त पुनः ऐसे शिथिल हो जाता है, जैसे तनाव आया ही नहीं था।
इस प्रकार की स्थिति में पुरूष को स्त्री के सामने शर्मिन्दा होना पड़ता है और स्त्री भी ऐसे पुरूष से दूरियां बनाने लगती है, घृणा करने लगती है। परिणाम स्वरूप पुरूष के अंदर हीनभावना घर कर जाती है और वह खुद से ही नफरत करने लगता है।
अपने आपको कोसने लगता है।
स्त्री के सामने आ जाने से घबराने लगता है और खुद स्त्री के पास जाने से कतराने लगता है।
जो पुरूष भाई ऐसी ही समस्या से जूझ रहे हैं उनके इस हिंदी लेख में बहुत ही आसान से कुछ घरेलू नुस्खे बताये जा रहे हैं..
घरेलू चिकित्सा-
1. सफेद प्याज का रस 4 चम्मच, अदरक का रस 3 चम्मच, शुद्ध शहद 2 चम्मच, गाय का घी 1 चम्मच।
इन चारों को मिला लें। 2-2 चम्मच 1-2 बार प्रतिदिन 3 सप्ताह तक दें।
2. असगन्ध चूर्ण 1-1 चम्मच सुबह-शाम विषम भाग मधु-घृत मिलाकर चाटें। ऊपर से सुखोष्ण मीठा दूध पी लें।
3. गोखरू और काले तिल बराबर-बराबर खूब महीन कर लें। 5-5 ग्राम सुबह-शाम दूध 250 मि.ली. में मिलाकर खौलायें।
जब पानी जल जाये और दूध शेष बच जाये तो उतार लें। सुखोष्ण होने पर मिश्री मिलाकर पीयें।
4. असगन्ध, कौंच के बीज, तालमखाना और सफेद मूसली बराबर-बराबर महीन कर लें। 5-5 ग्राम सुबह-शाम मिश्री मिले दूध के साथ दें।
5. दूध में शुद्ध किये हुए छिलका रहित कौंच के बीच 10 ग्राम, सफेद मूसली 20 ग्राम, मखाने की ठुड्डी(छिलका रहित) 40 ग्राम तथा मिश्री 50 ग्राम महीन कर लें। 1-1 चम्मच सुबह-शाम सुखोष्ण दूध के साथ लगातार कुछ मास तक लें।
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6. सूखे आँवलों के चूर्ण में ताजे आँवलों के रस की 21 भावना देकर कूटकर सुखा लें। इसमें समभाग असगन्ध चूर्ण भी मिला लें। इसे 5-5 ग्राम सुबह-शाम मीठे दूध के साथ लगातार कुछ मास तक लें। जोश आकर पूर्ण मर्दानगी जागती है।
7. शतावर, असगन्ध नागौरी और बिदारीकन्द बराबर-बराबर लेकर महीन कर लें। 5-10 ग्राम सुबह-शाम सुखोष्ण मीठे दूध के साथ लें।
8. प्रातः नाश्ते में गाजर का हलवा प्रतिदिन खाकर दूध पीयें।
9. प्रातः नाश्ते में सिंघाड़े का हलवा प्रतिदिन खाकर दूध पीयें।
10. मुलेठी 50 ग्राम, अश्वगंधा 100 ग्राम, शतावरी 200 ग्राम तथा मिश्री 350 ग्राम चूर्ण तैयार कर लें। 1-1 बड़ा चम्मच सुबह-शाम दूध के साथ लें।
11. छुहारे 4 नग उनको चीरकर गुठली निकल लें। 100 मि.ग्रा. असली केशर रखकर आधा किलो दूध में 5-7 उबाल तक खौलाएं। रातभर पड़ा रहने दें। प्रातः छुहारे निकाल कर खूब चबाकर खायें तथा ऊपर से दूध पी लें।
12. उड़द की धुली दाल 25 ग्राम को 5 ग्राम घी में लाल होने तक भूनें। फिर उसमें दूध 500 मि.ली. तथा चीनी 25 ग्राम मिलाकर खीर तैयार करें। इसे प्रातः नाश्ते में खायें।
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