स्तन रोग की समस्या का आयुर्वेदिक उपचार
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वात, पित्त और कफ- इन तीनों में से किसी एक या एक से अधिक में विकृति(विकार) आने के कारण शरीर रोग ग्रस्त हो जाता है। शरीर के अन्य अंगों की भांति ‘स्तन’ भी एक अंग है, जिसमें दोषानुसार अनेक प्रकार के कष्ट हो जाते हैं। अतः तत्संबंधी चिकित्सा लिखी जा रही है।
देसी चिकित्सा-
1. इन्द्रायण की जड़ पानी में पीसकर स्तनों पर लेप करने से स्तनों की पीड़ा एवं सूजन ठीक हो जाती है।
2. हल्दी और घीग्वार(ग्वार पाठा) की जड़ पीसकर स्तनों पर लेप करने से स्तन रोग ठीक हो जाते हैं। यदि स्तन संबंधी कोई भी विकार हो तो इसी का प्रयोग करें।
प्रयोग विधि– घीग्वार के गूदे के रस में हल्दी का चूर्ण मिलाकर गर्म कर लें। इसे सुहाता-सुहाता(हल्का गर्म) होते ही स्तनों पर लेप करें। इससे स्तनों की सूजन जल्दी ठीक हो जाती है।
3. बच्चों द्वारा दांत काटे स्तन के घाव पर चिरायता पीसकर लेप करने से लाभ होता है।
4. यदि स्तन पक गये हों, तो उन पर नीम के बीज (निंबौलियो) का तेल चुपड़ने से लाभ होता है।
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5. यदि कमलगट्टे की गिरी को बारीक पीसकर दूध-दही, मक्खन या मलाई के साथ प्रतिदिन सेवन करने से वृद्धा के स्तन भी कठोर हो जाते हैं। इससे प्रसूता के दूध में वृद्धि होती है।
प्रयोग विधि– कमलगट्टा रात को पर्याप्त पानी में भिगो देें। सुबह चाकू से छिलके उतार दें। अब प्रत्येक गिरी के अंदर से हरी पत्तियां निकाल कर फेंक दें। ये दुष्प्रभाव से युक्त होती हैं। गिरी के शेष भाग को सुखाकर कूट-छान लें। शारीरिक क्षमता के अनुसार आधा से एक चाय का चम्मच दूध या दही के साथ लगातार कुछ दिन दें। चमत्कारिक लाभ होगा।
6. भैंस का लौनी घी, कूठ, खिरेंटी, बच और बड़ी खिरेंटी को पीसकर स्तनों पर प्रतिदिन लेप करने से स्तन पुष्ट एवं कठोर हो जाते हैं।
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