लिंग का इलाज

लिंग की त्वचा को पीछे खींचने पर लिंग का जो भाग बाहर निकल जाता है, वही लिंगमुण्ड(सुपारी) के नाम से जाना जाता है।

इसी से सूजन होने से इसे सुपारी की सूजन कहते हैं।

कारण-

अस्वाभाविक ढंग से संभोग करने से आघात के कारण, आवरण(त्वचा) के अंदर मैल जम जाना, सुजाक के कारण संक्रमण आदि से यह कष्ट हो जाता है।

Ling Ki Dawa

Ling Ki Dawa(चिकित्सा):

1. नीम की पत्तियों के क्वाथ से नित्य लिंग को पहले फिटकरी के घोल से साफ करें। फिर नीम की पत्तियों के क्वाथ से साफ करें। फिर सूती कपड़े से लिंग मुण्ड को पोंछकर शुष्क करके नीम के तेल में समभाग तिलों का तेल मिलाकर लगायें।

केवल नीम का तेल, बिना तिलों का तेल मिलाये। लिंगमुण्ड पर मत लगायें अन्यथा जलन होगी।

2. हरे धनिये के रस में रसोंत घोलकर लिंगमुण्ड पर लेप करें।

3. लाल चन्दन, मुर्दा संग, सुपारी, मेंहदी के शुष्क पत्ते बारीक पीसकर हरे मकोय(काक माची) के रस में घोंटकर लेप करें।

4. यदि सूजन का कारण सुजाक हो तो सुजाक की चिकित्सा करें। सूजन स्वतः दूर हो जायेगी।

5. लौंग का तेल एवं शहद को आलिव आॅयल में मिलाकर सुपारी छोड़कर लिंग पर लगाने से लिंग में दृढ़ता आती है।

6. कायफल को भैंस के कच्चे दूध में पीसकर चार पहर घोंटकर गुनगुना लेप लिंग पर करके ऊपर से कपड़ा बांधे सुबह गर्म पानी से साफ करें। ऐसा कुछ दिन तक नित्य करने से लिंग के आकार में वृद्धि होती है।

7. दालचीनी का तेल, लौंग का तेल, सांडे का तेल, बीरबहूटी, जावित्री, जायफल, सरसों का तेल। समान मात्रा में लेकर खरल करके रख लें। थोड़े से तिला की लिंग पर प्रतिदिन मालिश करें। संभोग के समय लिंग में कठोरता, उत्तेजना पैदा करता है और लिंग ढीला नहीं होने पाता है।

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