योनि में इंफेक्शन की दवा
रोग परिचय(योनि की खुजली) –
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योनि की खुजली आम रोग है। दुनियां भर की समस्त महिलाओं, युवतियों एवं बालिकाओं को यह रोग हो जाता है। यह एक ऐसा रोग है, जो साधारण से उपचार के बाद ठीक भी हो सकता है और नहीं भी। संभव है यह रोग अनेक औषधि चिकित्सा के बाद भी काबू में ना आ सके। अधिकांश अवस्थाओं में यदि यह रोग साधारण चिकित्सा से चला जाये तो उसको आकस्मिक अथवा संयोग या फिर ईश्वर का चमत्कार समझना अधिक ठीक है। इस रोग की सामान्य पहचान यही है कि स्त्री को समय, असमय योनि में खुजलाहट, जलन होती रहती है। कभी-कभी तो यह खुजली स्त्री को इतना हलाकान कर देती है कि वह समाज में प्रतिष्ठा तक खो बैठती है।
रोग के प्रमुख कारण-
अपने शरीर के प्रति लापरवाह और गैर जिम्मेदार स्त्रियाँ अपने अपने आपको गंदगी का घर बना लेती हैं।
ऐसा नहीं है कि कामकाजी मजदूर वर्ग की अथवा अनपढ़ गंवार महिलायें ही अपने अंगों की स्वच्छता का ध्यान नहीं रखती।
पढ़ी-लिखी सलीके से रहने वाली करोड़पति घरानों की महिलायें भी साधारण महिलाओं से कहीं अधिक गंदगी पाले रहती हैं। हालांकि ऊपर से वे बहुत साफ-सुथरी, सजी-संवरी, सौंदर्य प्रसाधनों से लिपी-पुती नजर जरूर आती हैं, लेकिन अपने भीतरी अंगों की सफाई के प्रति जागरूक व सजग नहीं रहती।
ऐसी अधिकांश और गुप्तांगों के रोगों की शिकार होती रहती हैं।
योनि की खुजली इनमें से एक रोग है, जो प्रमुखतः स्वच्छता के अभाव से अक्सर होता देखा गया है।
आजकल तेज केमिकल युक्त साबुनों का बहुत चलन है।
महिलायें ऐसे साबुन जब अपने संवेदनशील गुप्तांगों पर प्रयोग करती हैं, तो इनकी प्रतिक्रिया इन रोगों को जन्म देती हैं। त्वचा पर साबुन ही नहीं, अन्य सौंदर्य प्रसाधन भी घातक प्रभाव डालते हैं।
कुछ औषधियाँ ऐसी आती हैं, जो गुप्तागों में संक्रमण न होने देने के लिए प्रयोग की जाती हैं।
ऐसे घोल, मलहम या क्रीम आदि भी योनि में खुजली पैदा कर सकते हैं।
उदाहरण के लिए डेटाॅल को ही लें।
अब यदि इसका विलयन पानी में अधिक तेज घोलकर प्रतिदिन योनि में स्वच्छता और संक्रमण नाशक के रूप में प्रयोग किया जाये तो लाभ की अपेक्षा हानि भी हो सकती है।
त्वचा को भारी नुकसान भी हो सकता है।
ऐसी अज्ञानता से कई बार स्वस्थ व्यक्ति रोगों को पाल लेता है।
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कस्से वस्त्र व औषिधियाँ
हस्तमैथुन, गर्भनिरोधक उपकरणों का दुष्प्रभाव भी योनि में खाज-खुजली पैदा कर सकता है। कुछ स्त्रियाँ बहुत कसे हुए कपड़े पहनना पसंद करती हैं। ऐसा करना उचित नहीं होता। इस प्रकार कपड़े लगातार योनि में घर्षण पैदा करके त्वचा पर गलत प्रभाव डालकर मुसीबत में फंसा सकते हैं और अनजाने ही रोग पीछे पड़ जाता है। यहाँ तक बात और उल्लेखनीय है कि अधिकांश स्त्रियाँ आजकल बिना कुछ सोचे-समझे औषधियाँ फांकती रहती हैं। ऐसा करना गलत है। ऐसी औषधियां एलर्जी उत्पन्न करती हैं और योनि की खाज-खुजली औषधियों की एलर्जी की वजह से भी हो जाना संभव ही नहीं, बल्कि यकीनन ऐसा अधिकांश महिलाओं को होता भी है।
अन्य रोग
यह तो सामान्य कारक है, लेकिन इसके अतिरिक्त गंभीर कारणों से भी योनि की खाज-खुजली से रोगी महिला परेशान हो सकती है। इस प्रकार के कारणों में सर्वप्रथम मधुमेह रोग को गिना जाना उचित है। यदि मूत्र में शर्करा है तो इसका पता रोगी के मूत्र की जाँच से किया जा सकता है। यदि रक्त में शर्करा है तो रोग की गंभीरता की ओर इशारा मिलता है। इसके लिए मधुमेह की साथ-साथ चिकित्सा की जानी चाहिए। रक्त विकार की इस रोग की तह में हो सकते हैं। कामला, पाण्डु, पीलिया से भी योनि की खाज-खुजली हो सकती है।
अत्यधिक पसीना आना और पसीने से भीगे गुप्ताँगों की साफ-सफाई की ओर ध्यान न देना, गर्भ और अत्यधिक तेज, तीखी वस्तुओं का प्रयोग करना, तेज मिर्च-मसालों संयुक्त भोजन करना, अम्लता युक्त पदार्थों को प्रयोग करना, खट्टे-मीठे, चटपटे बाजारू खाद्य प्रयोग करना हितकर नहीं रहता। इससे भी योनि रोगों के होने का भय होता है।
स्वछता
योनि का अत्यधिक खुश्क रहना भी योनि की खुजली को जन्म दे सकता है। मूत्र विषमता के कारणों द्वारा उत्पन्न विकारों से भी योनि में खाज उत्पन्न होने लगती है। कुछ महिलायें जैसा कि हम ऊपर भी बता चुके हैं, गंदगी का घर बनी रहती हैं। वे गुप्ताँग के बाल साफ नहीं रखतीं, सप्ताहों, महीनों गुप्ताँगों को साफ नहीं करतीं। ऐसी अवस्था में गुप्ताँग के बालों में जुएं पड़ जाती हैं, जिसकी वजह से योनि और उसके बाहर के समस्त प्रदेश में लगातार खुजली चलती रहती है।
योनि शोथ
रजोनिवृत्ति मामलों में यौन रोगों को भी योनि शोथ की शिकायत रहती है।
योनि शोथ के दौरान भी महिलायें खाज-खुजली से परेशान हो सकती हैं।
अधिकांश मामलों में यौन रोगों को भी योनि की खुजली के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
यौन रोग संक्रमण से उत्पन्न होते हैं। सिफलिस, गेनोंरिया, ट्राइकोमोनास आदि प्रमुख तौर पर रखे जा सकते हैं। योनि की खाज प्रसवकाल में मूलाधार का फट जाना, गुदा और योनि के नाल व्रण के कारण मल का योनि क्षेत्र से निकलना, योनि की ल्यूकोप्लेकिया, योनि की खाज के लिए महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। योनि क्षेत्र में होने वाले घाव, फोड़े, फुन्सियाँ, कट जाना, छिल जाना, जो यानि में खुजली की समस्या पैदा करती है। यदि योनि में कैंसर रोग की शुरूआत हो तो भयंकर खुजली होगी तथा तुरन्त चिकित्सा प्रारम्भ नहीं की गई तो मृत्यु का भय भी हो सकता हो योनि की प्राचीर भ्रंश, योनि भ्रंश भी इस रोग को पैदा करते हैं।
योनि की खुजली योनि में होने वाला पामा, दाद जैसे चर्म रोगों से भी उत्पन्न होते हैं। थायराइड की कमी, लोह की कमी, आमाशय में अम्ल की कमी होना, विटामिनों की कमी, मूत्र का अनियोजित होकर योनि को भिगोए रखना, बवासीर आदि के अतिरिक्त कभी-कभी पति-पत्नी में आपसी लैंगिक मेलजोल की कमी भी योनि की खाज-खुजली को जन्म देती है।
Vaginal Itching के प्रमुख लक्षण-
इस रोग का सबसे मुख्य लक्षण योनि में जबरदस्त खुजली होना है।
रोगी स्त्री इस खाज-खुजली से इतनी त्रस्त हो उठती है कि मान-अपमान को भी भूल जाती है।
खाज इतनी अधिक तेजी से होती है कि कभी-कभी तो कई महिलाये योनि को भावावेश में आकर अपने नाखूनों से छील तक डालती है।
अत्यधिक खुजली करने के बाद योनि की चमड़ी में तीखी वेदना और जलन होने लगती है।
खुजली वाले स्थान की चमड़ी लाली सुर्ख हो उठती है।
इस रोग में चयापचयजन्य विकार मिल सकते हैं, जिससे थायराइड की कमी और मूत्र तथा रक्त शर्करा प्रमुख होते हैं। स्थानीय गंदगी तथा रोगों के लक्षण इस रोग में प्राप्त हो सकते हैं।
इसके अतिरिक्त रोगी स्त्री किसी एलर्जीजन्य चर्म रोगों की शिकार हो चुकी होती हैं।
एनीमिया, पीलिया, रक्तक्षय, आमाशय की गड़बड़ी आदि के लक्षण भी मिल सकते हैं।
Vaginal itching treatment ( घरेलू उपचार ) :
1. काली मिर्च से सिद्ध तेल लगाने से योनि एवं योनि प्रदेश की खुजली मिट जाती है।
2. सफेद जीरा के क्वाथ से योनि प्रक्षालन करने से योनि की खुजली मिट जाती है।
3. सफेद जीरा से सिद्ध तेल का बाह्य प्रयोग नित्य 2-3 बार करने से योनि की खुजली मिट जाती है।
4. सत्यानाशी(पीला धतूरा) का दूध 30 बूँद, दूध में मिलाकर नित्य दो बार लेने से योनि और पूरे शरीर की खुजली मिट जाती है।
5. वनहल्दी(आमा हल्दी) के लेप से भी योनि और शरीर के किसी भाग की स्थानीय खुजली मिट जाती है।
6. नीम के क्वाथ से नित्य योनि प्रक्षालन करने से भी लाभ होता है।
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