लिंग लंबा मोटा करने की आयुर्वेदिक दवा

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कई रोगी ऐसे होते हैं, जो लिंग छोटा या पतला होने के कारण हीनभावना से ग्रस्त हो जाते हैं। ऐसे पुरूष स्त्री के पास जाने से भय और संकोच करने लगते हैं। वास्तव में लिंग का आकार छोटा होना या पतला होना कोई मायने नहीं रखता। लिंग छोटा हो या पतला इसका महत्व नहीं है। महत्व है- मैथुन शक्ति का।

मैथुन शक्ति जितनी प्रबलता से सम्पन्न होगी, स्त्री उतनी ही संतुष्ट होती है। स्वयं पुरूष को भी तृप्ति प्राप्त हो जाती है। लिंग में भरपूर कठोरता तथा स्तम्भन शक्ति के बल पर ही यौन आनंद तृप्ति निर्भर है, छोटे या पतले लिंग से नहीं।

छोटा या पतला लिंग भी यदि पूर्ण कठोर हो तो मैथुन आनंद उतना ही प्राप्त होता है, जितना बड़े तथा मोटे लिंग से मैथुन आनंद व तृप्ति प्राप्त होती है। छोटे तथा पतले लिंग को बड़ा तथा मोटा बनाने के अति उपयोगी आयुर्वेदिक चिकित्सा नीचे सविस्तार उल्लेख की जा रही है। प्रस्तुत की जा रही औषधि योगों में से कोई भी एक योग पीड़ित रोगी को प्रयोग करने का निर्देश दें।

प्रमुख आयुर्वेदिक योग इस प्रकार है-

Ling Lamba Mota Karne Ki Ayurvedic Dawa

 

पहला योग

शतावर 50 ग्राम, सफेद मूसली 50 ग्राम, मिस्री 50 ग्राम, काली मूसली 50 ग्राम, सालम मिस्री 50 ग्राम, बहमन सुर्खलाल 25 ग्राम, सफेद बहमन 25 ग्राम, तौदरी बड़ी 25 ग्राम, तौदरी छोटी 25 ग्राम, जायफल 12.5 ग्राम, सोंठ 12.5 ग्राम, इन्द्रयव 12.5 ग्राम, सुखारी बीज 12.5 ग्राम, जावित्री 12.5 ग्राम, कुलंजन 12.5 ग्राम।

उपरोक्त समस्त औषधियां एकत्र करें। सभी को कूट-पीसकर एक जान चूर्ण करके कपड़छान कर लें और एक साफ-सुथरी शुद्ध शीशी में भर कर रख लें। यह चूर्ण अतिशय गुणकारी सिद्ध है।

यह चूर्ण अति शक्तिशाली प्रभावयुक्त होता है। इसका असर तीव्र गति से होता है।

यह लिंग की वृद्धि कर लिंग को मोटा तथा लंबा कर देता है। इसके प्रयोग से कामशक्ति बढ़ती है।

रोगी बलवीर्य से परिपूर्ण शक्तिशाली हो जाता है।

यह योग स्तम्भन शक्ति भी बढ़ा देता है, जिससे आशातीत आनंद तृप्ति की प्राप्ति होती है। 6 ग्राम चूर्ण में 12 ग्राम शहद मिलाकर सेवन करने का निर्देश दें। ऊपर से दूध पीने की सलाह भी दें। दूध पीने से अधिक लाभ की आशा की जा सकती है।

दूसरा योग

सूखे आंवलों का कपड़छान चूर्ण 4 ग्राम, तालमखाना चूर्ण 2 ग्राम, स्वर्णयुक्त योगेन्द्र रस 125 मि.ग्रा., त्रिबंग भस्म 125 मि.ग्रा.।

उपरोक्त योग अति उत्तम फलदायक सिद्ध है। इसके प्रयोग से पतला लिंग मोटा हो जाता है।

नपुंसकता-नामर्दी पर भी आशातीत प्रभाव पड़ता है और रोगी मैथुन आनंद तृप्ति प्राप्त करता है।

यह स्तम्भन शक्ति बढ़ाने वाला योग भी है।

यह योग दिन में 2 बार सुबह-शाम प्रयोग करने का निर्देश दें। इससे बल-वीर्य बढ़ता है।

बल-वीर्य बढ़ने रोगी कांतिवान हो जाता है।

इस योग की औषधियों को एकत्र कर शहद के साथ मिलाकर प्रयोग कराया जाता है।

प्रयोग के बाद दूध की सलाह भी दें।

तीसरा योग

छोटी इलायची का चूर्ण 2 ग्राम, बंग भस्म 250 मि.ग्रा., लौंग का चूर्ण 1 ग्राम, पीपल का चूर्ण 1 ग्राम।

यह योग सर्वोत्तम शक्तिशाली उच्चकोटि का प्रभाव उत्पन्न कर छोटे लिंग में आशातीत बढ़ोत्तरी करता है।

इसके अलावा यह योग नपुंसकता नाशक भी है। वीर्य बढ़ाने में भी यह सहायक सिद्ध होता है।

वीर्य गाढ़ा हो जाता है, जिससे रोगी की स्तम्भन शक्ति भी विकसित होने लगती है। वीर्य के तमाम दोष इस योग के प्रयोग से दूर हो जाते हैं। ऊपर लिखी गई औषधियों की यह एक मात्रा है।

ऐसी 1-1 मात्रा दिन में 2 बार सुबह-शाम शहद के साथ प्रयोग करने का निर्देश दें। प्रयोग के बाद ऊपर से दूध पीने की सलाह देने से आशातीत लाभ शीघ्रता से होने लगता है।

यह बलवीर्य व कांति बढ़ाने वाला गुणकारी योग है। आवश्यकतानुसार प्रयोग करायें।

चौथा योग

जायफल 6 ग्राम, जावित्री 6 ग्राम, अकरकरा 6 ग्राम, अरण्ड के बीज 1 ग्राम, पुराना गुड़ 1 ग्राम, तिल 1 ग्राम, शहद 2 ग्राम, बिनौलों की गिरी 1 ग्राम, कड़वा कूट 6 ग्राम, पुराना नारियल 1 ग्राम।

यह योग अति उपयोगी, असरकारक एवं श्रेष्ठ लाभ प्रदान करता है। उपरोक्त समस्त औषधियां घोट-पीसकर एक जान कर लें और एक पोटली बना लें। उसके पश्चात् बकरी का थोड़ा-सा दूध गरम करके पोटली को उसमें डालकर भीगने दें।

जब पोटली भीग जाये, तब आहिस्ता-आहिस्ता सेंक लिंग पर करें। लिंग के अग्र भाग सुपारी पर कदापि सेंक नहीं करना चाहिए।

इस सिंकाई से लिंग की मांसपेशियों की सुस्ती दूर हो जाती है। पतला लिंग मोटा व छोटा लिंग धीरे-धीरे बड़ा होने लगता है।

इस पोटली के प्रयोग से लिंग के अंदर आश्चर्यजनक उत्तेजना-शक्ति का संचार भी होने लगता है।

पांचवा योग

अश्वगंधा 1 कैप्सूल, शिलाजीत 1 कैप्सूल।

उपरोक्त दोनों कैप्सूल दिन में 2-3 बार अथवा आवश्यकतानुसार प्रयोग करायें। यह कैप्सूल बल-वीर्यवर्धक गुण सम्पन्न है। इनके प्रयोग से लिंग का पतलापन तथा लिंग का छोटापन दोनों दूर हो जाते हैं।

लिंग पर्याप्त शक्तिशाली, सुदृढ़ तथा बलवान हो जाता है। रोगी को मैथुन तृप्ति प्राप्त होती है।

अश्वगंधारिष्ट 15 एम.एल., बलारिष्ट 15 एम.एल.।

उपरोक्त दोनों कैप्सूल सेवन करने के अतिरिक्त भोजन करने के बाद उपरोक्त दोनों पेय सेवन करने का निर्देश दें।

कैप्सूल तथा पेय प्रयोग कराने से पीड़ित रोगी मानसिक, शारीरिक तथा स्नायुविक तौर पर भी शक्तिशाली हो जाता है। लिंग में भी आशातीत शक्ति का संचार हो जाता है।

छठा योग

शिलाजीत 12 ग्राम, भीमसेनी कपूर 13 ग्राम, बंग भस्म 12 ग्राम, प्रवाल भस्म 12 ग्राम, चांदी के वर्क 12 ग्राम, गुड़ची सत्व 12 ग्राम।

उपरोक्त सभी औषधियां प्राप्त करें और खरल करके खूब घोट-पीसकर एक जान कर लें।

उसके पश्चात् 125 मि.ग्रा. शक्ति की गोलियांे का निर्माण कर गोलियां छाया में सुखाकर किसी स्वच्छ साफ सुथरी शीशी में भरकर रख लें।

1-1 गोली दिन में 2 बार अथवा आवश्यकतानुसार सेवन करने का निर्देश देने से आशातीत लाभ प्राप्त हो जाता है।

अति तीव्र अवस्था होने पर 2-2 गोली दिन में 2 बार अथवा आवश्यकतानुसार दें।

यह नपंुसकता-नामर्दी को नष्ट करने वाला योग है।

इसका प्रभाव लिंग पर भी पड़ता है तथा छोटा-पतला लिंग बड़ा तथा शक्तिशाली मोटा भी होने लगता है।

रोगों की शक्ति बढ़ जाने पर रोगी के चेहरे पर रौनक एवं कांति उत्पन्न हो जाती है। दूध के साथ रोगी को प्रयोग कराना अधिक हितकर साबित होता है।

सातवा योग

मूसली पाक 6 ग्राम, स्पे. च्यवनप्राश 12 ग्राम, फलकल्याण घृत 3 ग्राम।

उपरोक्त तीनों औषधियां अतिशय गुणकारी होती हैं। इनका प्रभाव सर्वोत्तम शक्तिशाली तथा उच्चकोटि का होता है।

इन तीनों औषधियों को एक साथ मिलाकर एक मात्रा बनायें। यह 1-1 मात्रा दिन में 2 बार अथवा आवश्यकतानुसार सेवन करने का निर्देश देने से पीड़ित रोगी को आशातीत लाभ अर्जित हो जाता है।

यह योग नपुंसकतानाशक अपूर्व शक्ति प्रदान करने वाला है। इसके प्रयोग से लिंग भी कठोर तथा सबल होने लगता है।

यह योग लिंग का पतलापन तथा लिंग के छोटेपन के विकार को भी दूर करता है।

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आठवा योग

तालमखाना 60 ग्राम, सेमल मूसली 60 ग्राम, गोखरू 60 ग्राम, शतावर 60 ग्राम, केवांच के बीज की मींगी 60 ग्राम, गुल सकरी 60 ग्राम, बरियार के बीज 60 ग्राम।

उपरोक्त सभी औषधियां एकत्र करें और अति सूक्ष्म बारीक महीन पीसकर एक जान कर लें।

पीसने के पश्चात् कपड़छान करें और आवश्यकतानुसार मिश्री का महीन चूर्ण मिलाकर एक शीशी में भरकर रख लें।

यह चूर्ण 10-15 ग्राम दिन में 2 बार अथवा आवश्यकतानुसार सेवन करने का रोगी को निर्देश दें।

गाय के दूध के साथ रोगी को प्रयोग कराना हितकर सिद्ध होता है।

यह योग अपूर्व शक्ति प्रदान करता है। इसके प्रयोग से नपुंसकता नष्ट हो जाती है। लिंग की दुर्बलता-कमजोरी का भी अंत हो जाता है।

ये लिंग को सबल, मजबूत और शक्तिशाली बना देने वाला योग है। इस औषधि से पतला लिंग मोटा तथा छोटा लिंग लंबा हो जाता है।

यह छोटे अण्डकोष को भी सामान्य कर देता है। यौवन हार्मोन्स का स्राव भी इस योग से बढ़ने लगता है।

नौवा योग

पूर्णचन्द्ररस वृहद् स्वर्णयुक्त 125 मि.ग्रा., बंगेश्वर रस वृहद स्वर्णयुक्त 62 मि.ग्रा.।

उपरोक्त दोनों औषधियां अतिशय गुणकारी सिद्ध हैं। दोनों औषधियां नपुंसकता-नामर्दी का नाश करके रोगी को सक्षम-समर्थ बना देती हैं।

इनके प्रयोग से बलवीर्य बढ़ता है। चेहरे पर कांति उत्पन्न हो जाती है। लिंग भी कठोर शक्तिशाली हो जाता है।

रोगी को मैथुन तृप्ति प्राप्त होती है।

दसवा योग

असगंध 30 ग्राम, दूब 30 ग्राम, सेंधा नमक 30 ग्राम, बकरी का दूध ढाई किलो, घी 1 पाव।

उपरोक्त तीनों औषधियां, बकरी का दूध तथा पाव भर घी में डालकर पका लें।

जब दूध जल जाये, तब उतार कर छान लें। यह घी अतिशय उपयोगी, असरकारक सिद्ध होता है।

यह लिंग पर मलने के लिए दिया जाता है। इसका प्रभाव सर्वोत्तम शक्तिशाली होता है।

यह लिंग को कठोर व सबल बना देता है। इससे लिंग की मोटाई व लम्बाई बढ़कर पुष्टता आती है।

रोगी को मैथुन तृप्ति प्राप्त होती है।

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