महिलाओं के गुप्त रोग का आयुर्वेदिक उपचार (Prolapsed of Uterus)-
परिचय-
जब गर्भाशय(Uterus) अपने स्थान से नीचे की ओर आ जाता है, तो इसे योनिभ्रंश कहते हैं। कभी-कभी तो यह योनि मार्ग से बाहर निकल आता है। यह स्त्रियों का कष्टदायक रोग है।
चिकित्सा-
1. कामरूप की छाल और लोध दोनों को कूटकर पानी में उबाल कर लेप करने से योनिकन्द में लाभ होता है।
2. जिस स्त्री की योनि बाहर निकल आये उसको काली पहाड़(हड़जौरी) का क्वाथ पिलाने और इसी क्वाथ से योनि को धोने से लाभ होता है।
3. योनि संकोचक योग- कौंच की जड़ों के काढ़े में कपड़े के टुकड़े को तर करके योनि में रखने से ढीली योनि संकुचित हो जाती है।
4. खूब वनस्पति के काढ़े को टब में भरकर उसमें रोगिणी को बैठाने से गर्भाशय का बाहर निकल जाना ठीक हो जाता है।
5. योनि की सूजन में गंद बिरौजा का तेल लगाने से लाभ होता है।
6. जूही के फूलों को पीसकर योनि पर लगाने से योनि का ढीलापन दूर होकर योनि तंग हो जाती है।
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7. गंदना के पानी में फिटकरी घोलकर उसमें कपड़ा तर करके गर्भाशय में रखने से रक्त आना बंद हो जाता है और गर्भाशय का बाहर निकलना ठीक हो जाता है।
8. यदि बच्चे के जन्म के बाद अथवा वृद्धावस्था में स्त्रियों की योनि में ढीलापन आ जाये तो माजूफल का चूर्ण 250 से 500 मि.ग्रा. शहद में मिलाकर नित्य दो बार दें।
9. सीप को महीन पीसकर नित्य दो बार योनि में मलने से योनि का ढीलापन ठीक हो जाता है और योनि संकुचित हो जाती है।
10. समुन्द्रफेन को हरड़ की गिरी के साथ पीसकर योनि में रखने से योनि का ढीलापन ठीक हो जाता है और योनि तंग हो जाती है।
11. हीराबोल वृक्ष का गोंद आधा से एक ग्राम नित्य सुबह-शाम देने से गर्भाशय की शिथिलता दूर हो जाती है।
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