स्वप्नदोष का घरेलू इलाज

स्वप्नदोष-

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नींद में कोई कामुक स्वप्न देखने, किसी सुंदर स्त्री के निर्वस्त्र अंग-प्रत्यंगों को देखकर या फिर स्वयं के द्वारा संभोग करने का दृश्य देखने के दौरान आई उत्तेजना से वीर्यपात हो जाता है। इसे ही स्वप्नदोष कहते हैं।

सरल भाषा में वर्णन करें तो नींद में वीर्यपात होना स्वप्नदोष कहलाता है।

स्वप्नदोष संबंधी विशिष्ट जानकारी-

Swapandosh Ka Gharelu Ilaj

1. सामान्यतः 14-15 वर्ष की आयु में पुरूष में वीर्य बनना प्रारम्भ हो जाता है।

स्वप्नदोष भी इसी आयु में प्रारम्भ होता है।

2. यदि एक मास में 3-4 बार तक स्वप्नदोष किसी अविवाहित को जाये जाये तो विशेश चिंता की बात नहीं है। यदि इस स्थिति में भी शारीरिक अस्वस्थता का कारण रोगी स्वप्नदोष को मान लेता है, तो यह मानसिक वहम या भ्रम है।

3. यदि किसी विवाहित को 3-4 बार स्वप्नदोष होता है या प्राकृतिक, अप्राकृतिक मैथुन करने वालों को होता है, तो इसे रोग मानना चाहिए।

4. यदि अविवाहित पुरूष संयमित जीवन व्यतीत कर रहा हो(वीर्य का क्षरण नहीं करता हो) तो मास में 3-4 बार स्वप्नदोष होना हानिकारक नहीं है, अपितु स्वास्थ्यवर्धक सिद्ध है।

5. यदि मास में 4-6 बार अथवा इससे अधिक बार स्वप्नदोष हो जाये और क्रमशः बढ़ता जाये तो शरीर दिन-प्रतिदिन दुर्बल होने लगता है।

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6. स्वप्नदोष की चिकित्सा प्रारम्भ करने से पूर्व मूल कारण का पता लगायें और उसे दूर करें।

कारण ज्ञात होने पर समस्या का निवारण करने में आसानी हो जाती है।

7. जो रोगी मानसिक रूप से स्वस्थ होते हैं, अश्लील विचारों से मुक्त और पवित्र विचारों से युक्त होते हैं, वे प्रायः इस रोग से ग्रस्त नहीं होते हैं।

8. यदि बिना किसी अश्लीता की छाप पड़े स्वप्नदोष प्रारम्भ हो जाये, तो यह स्वप्नदोष प्रमाणित करता है कि शरीर में वीर्य बनना प्रारम्भ हो चुका है।

9. अश्लीलता का छाप पड़ने या इस प्रकार के वातावरण में रहने के बाद भी यदि स्वप्नदोष होता हो तो |

यह प्रमाणित करता है कि वीर्य निर्माण प्रारम्भ हो चुका है और काम की दृष्टि से परिपक्वता शरीर में है।

10. जो अधिक हस्तमैथुन करते हैं, वह प्रायः आगे चलकर स्वप्नदोष के रोगी बन जाते हैं।

11. लिंग की सुपारी को ढकने वाली त्वचा को पीछे करने के बाद जो सुपारी के नीचे खांच में मैल जमी होती है, उसे साफ करत रहें अन्यथा स्वप्नदोष प्रारम्भ हो सकता है।

12. स्वप्नदोष के रोगी को चाहिए कि रात को सोने से पहले घुटने से नीचे पाँवों को एवं कोहनी से नीचे हाथों को अवश्य धो लें।

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