स्वप्नदोष किसे कहते हैं?

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जब निंद्रावस्था में कोई कामुक व उत्तेजक स्वप्न देखते हुए अचानक से वीर्यपात हो जाये, तो उसे स्वप्नदोष कहते हैं। यूं तो स्वप्नदोष होना युवा उम्र की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, जो अगर माह में एक या दो बार हो जाये तो यह कोई चिंता की बात नहीं है। लेकिन अगर इससे अधिक बार होता है तो यह आगे चलकर एक सोचनीए विषय बन सकता है।

Swapandosh Ki Samasya Ka Aasan Desi Ilaj

स्वप्नदोष की घरेलू चिकित्सा-

1. अनार के छिलके को छाया में सुखाकर चूर्ण बना लें। आधा-आधा चम्मच सुबह-शाम ताजे जल के साथ पीड़ित को दें। स्वप्नदोष दूर होगा।

2. धनिया का हिमकषाय(शीत कषाय) अनुपान या सहपान के रूप में सेवन करने से स्वप्नदोष दूर हो जाता है।

3. बड़ी गोखरू का फाॅट सुबह-शाम सेवन करने से स्वप्नदोष दूर हो जाता है।

4. बड़ी गोखरू 30 ग्राम के चूर्ण को 300 मि.ली. उबलते जल में डाल दें। एक घंटे बाद मल छानकर थोड़ा-थोड़ा बार-बार पिलाते रहें। ऐसा नित्य तब तक करें, जब तक पूर्ण लाभ न हो जाये।

5. गोखरू के फलों का चूर्ण 2-2 ग्राम शर्करा एवं घृत के साथ नित्य सुबह-शाम देकर ऊपर से मिश्री मिला गोदुग्ध दें। स्वप्नदोष में लाभ होगा।

6. यदि अतिवीर्यपात के कारण दुर्बलता हो तो मूसली का पेय बनाकर सुबह-शाम पिलायें।

7. समुद्रशोष के बीज 3 से 6 ग्राम पानी में कुछ देर भिगो दें। फिर लुआबदार घोल में मिश्री मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से वीर्य का स्तम्भन होता है।

8. वृक्कों(गुर्दों) के स्थान पर पीठ पर सीसे की प्लेट या टुकड़ा बांधकर सोने से स्वप्नदोष नहीं होता है।

9. अफीम 3 ग्राम की स्प्रिट 60 मि.ली. में घोल लें। इसे इन्द्री और इन्द्री के आसपास लगाकर रात को सो जायें। इससे हर प्रकार का नया-पुराना स्वप्नदोष दूर हो जाता है।

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10. शतावरी, असगंध नागौरी और बिधारा की जड़ समान मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर इसके बराबर खाण्ड मिला लें। 2 से 3 ग्राम दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से स्वप्नदोष एवं अन्य वीर्य विकार दूर हो जाते हैं।

11. खुश्क धनिया 3 से 6 ग्राम खाण्ड मिलाकर नित्य रात को सोने से पहले जल के साथ दें। लाभ होगा।

12. ईसबगोल या अलसी के बीजों को शर्बत उन्नाव या शर्बत नीलोफर के साथ सेवन करने से स्वप्नदोष और वीर्यप्रमेह(मल-मूत्र करते समय वीर्य निकल जाना) ठीक हो जाता है।

13. वट वृक्ष(बरगद) का दूध 10 बूंद नित्य सुबह-शाम बताशे में डालकर सेवन करने से स्वप्नदोष दूर हो जाता है।

14. वट वृक्ष की कोपलों को छाया में सुखाकर चूर्ण बना लें। 2-2 ग्राम जल के साथ सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है।

15. इमली के बीजों को आग पर हल्का भूनकर छिलका उतार कर मैदा जैसा महीन चूर्ण बना लें। 1.5 ग्राम खाण्ड में मिलाकर नित्य सुबह-शाम दूध के साथ पीड़ित को दें।

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