Virya Badhane Ke Liye Desi Gharelu Nuskhe, Semen retention
मानव जीवन की सबसे बड़ी पूंजी ‘वीर्य’ है। जब तक शरीर में वीर्य स्थिति है, तब तक काल का भय नहीं।
पूर्ण वयस्क हुए बिना ‘स्त्री-सेवन’ कदापि नहीं करना चाहिए।
यदि संभोगावसरों पर वीर्य थोड़ा या विलम्ब से गिरे एवं लिंग सूखा व दुर्बल नज़र आये तो शरीर में वीर्य की कमी समझनी चाहिए।
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वीर्य को गाढ़ा, स्वस्थ और बढ़ाने के देसी नुस्खे-
1. बड़े समल के पेड़ की छाल के 2 मि.लि. स्वरस में 2 ग्राम मिश्री मिलाकर खाने से 7 दिन में वीर्य का समुन्द्र बन जाता है।
2. कौंच के छिले बीजों का चूर्ण 6 ग्राम, तालमखाने के बीजों का चूर्ण 6 ग्राम तथा मिश्री 10 ग्राम।
तीनों को मिलाकर फांकने से और ऊपर से धारोष्ण दूध पीने से वीर्य बल बढ़ता है। यह उत्तम बाजीकरण योग है।
3. सूखे सिंघाड़े तथा मखाने की ठुर्री दोनों को बराबर लेकर पीसकर, छानकर रख लें।
6 ग्राम में समान मात्रा मिश्री मिलाकर फांकने तथा ऊपर से पाव भर कच्चा दूध पीने से वीर्य बढ़ता एवं गाढ़ा हो जाता है।
तीन माह तक सेवन करें, जल्दी लाभ प्राप्त होगा।
4. शहद 3 ग्राम, प्याज का रस 4 मि.ली., घी 4 ग्राम मिलाकर सुबह-शाम चाटने तथा रात को चीनी मिलाकर गर्म दूध आधा सेर पीने से दो मास में वीर्य खूब बनता है।
स्मरण रहे शहद व घी की मात्रा सदैव असमान रहे, अन्यथा विष तुल्य सिद्ध होगी।
5. दालचीनी 3 ग्राम रात को सोते समय गर्म-गर्म दूध के साथ एक सप्ताह के निरंतर सेवन करने से वीर्य में अनुपम वृद्धि होगी।
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6. दूध में शहद मिलाकर पीने से धातुक्षय में लाभ होता है तथा शरीर में वीर्य की वृद्धि होती है।
7. मिश्री तथा पीपल समान मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर रख लें।
6 ग्राम चूर्ण फांक कर ऊपर से दूध पीने से बल और वीर्य बढ़ता है।
8. असगन्ध तथा बिधारा 3-3 ग्राम पीसकर 6 माशा घी, 3 माशा मधु से चाटकर पीने से वीर्य बढ़ता है एवं नपुंसकता दूर होती है।
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9. बड़े सेमल की छाल के रस में 2 तोला मिश्री मिलाकर पीने से 7 दिन में ही वीर्य का सागर बन जाता है।
10. कौंच के बीज की गिरी 100 ग्राम में 100 ग्राम मिश्री मिलाकर चूर्ण बना लें।
7 ग्राम की मात्रा में यह चूर्ण प्रति रात्रि सोते समय गाय के दूध से निरंतर सेवन करने से कुछ ही दिनों में वीर्य पैदा होकर पौरूषशक्ति बहुत अधिक बढ़ जाती है।
11. गेहूँ और कौंच के बीजों की गिरी के दले हुए दलिये को समान मात्रा में मिलाकर(एक मात्रा लगभग 25-25 ग्राम) आधा लीटर दूध में पकायें। तत्पश्चात् उसमें 25 ग्राम देशी घी तथा आवश्यकता अनुसार चीनी मिलाकर पी जायें। इस दलिये को नित्यप्रति प्रयोग करने से शारीरिक बल एवं वीर्य में वृद्धि होती है।
12. गोन्द ढाक, पोस्त ढाक वृक्ष, गोन्द गूलर, गोन्द मौलसरी, गोन्द सिम्बल, भुने चने, गुड़।
सब औषधियाँ समान मात्रा में लेकर खूब बारीक पीसकर चूर्ण बनाकर सुरक्षित रख लें।
3 ग्राम सुबह व शाम को ताजे जल अथवा गाय के दूध से सेवन करें।
निम्न चूर्ण वीर्याल्पता को दूर करता, वीर्य पैदा करता तथा स्तम्भन पैदा करता है।
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13. असगन्ध 10 ग्राम, आक के बीज 10 ग्राम कूटकर और कपड़े से छानकर शक्कर 20 ग्राम मिलाकर हथेली भर दूध या ताजा पानी के साथ खायें। इस योग के प्रयोग से वीर्य बढ़ता एवं गाढ़ा होता है।
14. कौंच के बीज, शलजम के बीज, मूली के बीज, गुन्दना के बीज, प्याज के बीज, जौ का आटा, सौंफ के बीज, तरहतेजक के बीज सब बराबर वजन में कूट-छानकर सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करें। जौ के आटे के स्थान पर चने का आटा भी प्रयोग किया जा सकता है।
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