महिलाओं को चरमसुख कैसे मिलता है?

स्त्रियों की चरम सीमा-(Female Orgasm)

Mahilaon Ko Charam Sukh Kaise Milta Hai, Female orgasm

स्त्री और पुरूष जब मैथुन(सेक्स) करते हैं, तब चरम सीमा मैथुन की अन्तिम अवस्था का नाम है, जिसको ‘चरम तृप्ति’ भी कहते हैं। इसका समय कुछ क्षण, कुछ सैकेण्ड का ही होता है। लेकिन उस थोड़े समय में स्त्री-पुरूष को अति मैथनानन्द की अनुभूति होती है।

Mahilaon Ko Charam Sukh Kaise Milta Hai

मैथुन के दौरान स्त्री को कामोत्तेजना की चरम सीमा आने पर योनिपथ या योनि मार्ग आंतरिक स्रावों के कारण गीला हो जाता है। कामभावना से उत्तेजित स्त्री का गर्भाशय मुख योनि के भीतर तक सरक जाता है। इसीलिए स्त्री को कभी-कभी ऐसा लगने लगता है, जैसे पुरूष का शिश्न तेजी से गर्भाशय मुख पर प्रहार कर रहा हो। पुरूष की यौन उत्तेजना वीर्यपात के बाद समाप्त हो जाती है। स्त्री भी मैथुन के दौरान पूर्णतः उत्तेजित होती है तथा चरम सीमा के दौरान पूरे तनाव में रहती है। जैसे ही तृप्त हो जाती है, पुरूष की भांति स्त्री का अंग-अंग भी शिथिल हो जाता है।

Famale orgasm की प्रक्रिया

यौन उत्तेजना की अनुभूति प्रथम मस्तिष्क में होती है, जिसके परिणामस्वरूप स्त्री में रक्त का प्रवाह तीव्र हो जाता है।

चेहरा तमतमा उठता है। कान, नाक, नेत्र, स्तन, स्तनों की घुंडियों, भगोष्ठ तथा योनि की आंतरिक दीवारें फूल जाती हैं, भंगाकुर का मुंड अंदर धंस जाता है, धड़कन बढ़ जाती है।

बर्थोलिन ग्रंथियों से एक प्रकार का तरल निकाल कर योनि मार्ग को चिकना कर देता है।

गर्भाशय ग्रीवा से कफ जैसे श्वेत गाढ़ा स्राव निकल आता है।

यौन उत्तेजना के समय योनि तथा गुदा के भीतर तथा गुदाद्वार के पास की पेशियां सिकुड़ती फैलती हैं।

कुछ विद्वानों का मत है कि योनिद्वार, भंगाकुर, मूत्रद्वार, गुदापेशी तथा गर्भाशय की पेशियां ताल बद्ध थिरकती हुई फैलती सिकुड़ती हैं।

कई विद्वान कहते हैं कि पांचों एक साथ गतिशील हो उठती हैं।

कुछ स्त्रियों की योनि और गर्भाशय मुख बारी-बारी से खुलता और बंद होता अनुभव होता है अथवा योनि प्रदेश में गुदा से लेकर नाभि तक अजीब-सी सुरसुराहट उठती महसूस होती है।

यह सुरसुराहट भरी तरंगे जांघों तक भी उठती हैं।

संभोग उत्तेजना की चरम सीमा पर स्त्री की आंखें बंद हो जाती हैं तथा वह पुरूष साथी को बुरी तरह जकड़ लेती है।

स्तन के अग्रभाग फड़कने लगते हैं।

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कानों में सनसनाहट होने लगती है और उसके कुछ सैकेण्ड तक जैसे पूरे ब्रह्माण्ड की गति थम गई हो और फिर सब कुछ शांत हो जाता है।

चरम सीमा समाप्त होते ही स्त्री के चेहरे तथा शरीर का सारा तनाव ढीला पड़ जाता है।

शरीर में हल्कापन आ जाता है। मन में उल्लास उत्पन्न हो जाता है। गर्दन, हाथ-पैर फड़कते हैं।

पीठ के बल लेटी स्त्री की पकड़ कुछ क्षण तेज होती है फिर क्रमशः ढीली पड़ती जाती है।

स्त्री और पुरूष जब एक साथ स्खलित होते हैं, तब दोनों का प्रेम संबंध लम्बा चलता है।

यदि दोनों में से एक स्खलित हो गया और दूसरे ने यौन उमंग को त्याग दिया तो प्रेम स्थायी नहीं रह पाता।

पुरूष यदि एक बार स्खलित हो गया तो उसको पुनः उत्तेजित होने में कुछ समय लगता है।

ऐसी दशा में यदि स्त्री स्खलित न हुई हो तो वह रूठ सकती है।

क्रुद्ध होकर पुरूष को नोंच खरोंच सकती है।

कई स्त्रियां तो उत्तेजित होकर पुरूषों पर हमला तक कर देती हैं।

इसलिए पुरूष को चाहिए कि वह स्त्री को पूर्ण उत्तेजित करने के पश्चात् ही मैथुन प्रारम्भ करे।

इससे दोनों का प्रेम संबंध स्थाई रहता है।

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