पुरूषों/मर्द का बाँझपन-
Male Infertility(Mard Ka Banjhpan), Male Infertility Treatment, Male Infertility Causes, Male Infertility Symptoms
स्त्रियाँ ही बाँझ नहीं होतीं, बल्कि पुरूष भी बाँझ होते हैं।
पुराने जमाने में बाँझपन के लिए स्त्रियाँ की दोषी ठहरायी जाती थीं।
स्वस्थ स्त्री को भी बाँझ करार देकर समाज में घृणा की नज़र से देखा जाता था।
किन्तु आज विज्ञान ने साबित कर दिया है कि केवल स्त्रियाँ ही बाँझ नहीं होती हैं, बल्कि पुरूष भी उन्हीं की भाँति बांझपन का शिकार हो सकते हैं और होते भी हैं। स्त्री जब गर्भधारण कर पाने में असमर्थ हो जाती है, तब उसको बाँझ कहा जाता है। इसी प्रकार पुरूष के वीर्य में जब पर्याप्त मात्रा में शुक्राणु नहीं होते, तब वह भी स्त्री को गर्भ ठहरा पाने में असमर्थ हो जाता है।
गर्भ तभी ठहर सकता है, जब स्त्री और पुरूष दोनों पूर्णतः स्वस्थ हों।
बाँझपन के कारण
यहाँ स्वस्थ होने का तात्पर्य यह है कि स्त्री एवं पुरूष के प्रजनन अंग स्वस्थ होने के साथ-साथ स्त्री की डिम्बग्रंथियों से परिपक्व डिम्ब निकलता हो तथा पुरूष के वीर्य में उतनी मात्रा में स्वस्थ, सबल और सक्रिय शुक्राणु हों, जितना मात्रा में होना आवश्यक है। तब दोनों गर्भ स्थापना के लिए स्वस्थ कहे जा सकते हैं। यदि पुरूष के वीर्य में सबल, स्वस्थ और सक्रिय मजबूत शुक्राणुओं की संख्या पर्याप्त है तो पुरूष को सक्षम तथा संतान उत्पन्न करने के योग्य समझा जायेग। लेकिन इधर स्त्री का परिपक्व डिम्ब नहीं निकलता है या अनियमित हो जाता है, तो उस अवस्था में स्त्री को बाँझ कहा जायेगा। यदि स्त्री का परिपक्व डिम्ब निकलता है, अनियमितता भी नहीं है, लेकिन इधर पुरूष शुक्राणुहीन है अथवा शुक्रकीट कम धारण करता है, तो पुरूष को बाँझ कहा जायेगा।
स्त्री और पुरूष दोनों के बाँझपन की चिकित्सा आजकल संभव है। लेकिन यह चिकित्सा यदि समय पर प्रारम्भ हो जाये तो शीघ्र सुखद फल प्राप्त होता है, परन्तु देर से की गई चिकित्सा के परिणाम अच्छे नहीं मिलते।
पुरूषों का बाँझपन दूर करने के लिए देसी व आयुर्वेदिक उपाय-
पुरूषों के बाँझपन में सबसे मुख्य कारण है शुक्राणुओं का न बनना या बहुत ही कम मात्रा में होना। इसलिए इस हिंदी लेख में बताये जा रहे हैं पुरूषों में शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने के देसी व आयुर्वेदिक उपाय..
1. कौंच के बीज, अश्वगंधा, शतावरी और तालमखाना बराबर-बराबर चूर्ण कर लें। 5-5 ग्राम प्रतिदिन सुबह, दोपहर तथा शाम सुखोष्ण मीठे दूध के साथ दें।
2. अश्वगंधा, शतावरी, सफेद मूसली, कौंच के बीज, गोखरू, मुलेहठी, त्रिफला और मिश्री प्रत्येक 100 ग्राम। खूब महीन(बारीक) कर लें।
1-2 चम्मच 3 बार प्रतिदिन सुखोष्ण मीठे दूध के साथ दें।
3. असगंध चूर्ण 1-1 चम्मच सुबह-शाम दूध 250 एम.एल. में खौलाकर, मिश्री की चूर्ण मिलाकर पिलायें।
4. सुबह के नाश्ते में अंकुरित गेहूँ या चने खूब चबाकर खाने चाहिए।
5. कच्चे नारियल का पानी प्रतिदिन 2-3 बार 1-1 गिलास करके पीना लाभदायक है।
6. शतावरी, कौंच के बीज, तालमखाना के बीज, गोखरू, सेमर मूसली तथा असगन्ध 100-100 ग्राम महीन कर लें। 1-2 चाय के चम्मच से प्रतिदिन 3 बार दूध के साथ लें।
7. आँवला, गोखरू, गिलोय, अश्वगंधा और शतावर बराबर-बराबर लेकर खूब बारीक कर लें। 1-1 चम्मच रोजाना 3 बार दूध के साथ दें।
8.नारियल की गिरी 30 ग्राम को कद्दूकस करके घी 75 ग्राम में भून लें। फिर उसमें नारियल का पानी 130 मि.ली. तथा चीनी 300 ग्राम मिलाकर पाक तैयार करें। 10-10 ग्राम सुबह-शाम खाकर दूध पी लिया करें।
9. अश्वगंधा चूर्ण 1-1 चम्मच सुबह-शाम फांक कर दूध पीना चाहिए।
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