मर्दाना कमजोरी क्या होती है?
Mardana Kamjori Ki Ramban Desi Aushadhiyan, Erectile dysfunction
मर्दाना कमजोरी से अभिप्राय है सेक्स पाॅवर का कम होना या फिर ना होना, जोकि नामर्दी का भी संकेत है। मर्दाना कमजोरी से जूझ रहे पुरूषों के लिए जीवन एक तरह से अभिशाप-सा बन जाता है। आजकल की भागदौड़ भरी और व्यस्त जिंदगी के कारण आज के नौजवान अपने खान-पान और स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों पर ध्यान ही नहीं दे पाते, जिस कारण वे सेक्स समस्या से पीड़ित रहने लगे हैं। 5 में से हर एक पुरूष सेक्स कमजोरी या सेक्स समस्या से जूझ रहा है।
बचपन में की गई गलतियों के कारण नादानी में अपने अनमोल वीर्य का क्षय करते रहने के कारण युवा अवस्था में, खासकर अपने वैवाहिक जीवन में सेक्स समस्या से घिर जाता है। वक्त रहते इसका उपचार आवश्यक है, अन्यथा यह बहुत बड़ी समस्या भी बन सकती है और पुरूष, नामर्दी व शीघ्रपतन का शिकार भी हो सकता है।
मर्दाना कमजोरी की रामबाण देसी औषधियाँ-
1. लौह भस्म सौपुटी 6 ग्राम, सफेद संखिया 1 ग्राम, शुद्ध कुचला 3 ग्राम, सफेद कत्था 12 तोला।
सबको 6 घंटे तक जोर से खरल करें और मधु में घोंटकर 125 मि.ग्रा. की गोलियां बना लें।
1-1 गोली भोजनापरांत दोनों समय रोगी को खिलायें।
ये गोलियां जबर्दस्त मर्दाना शक्ति उत्पन्न करती है और हस्तमैथुन के लिए लाभप्रद हैं।
2. कबाबचीनी, अजवायन खुरासानी, जटामांसी, तज कौंच के बीजों की गिरी, दालचीनी, मस्तगी, छड़ेला प्रत्येक 4 ग्राम, मीठी इन्दजौ, जायफल प्रत्येक 6 ग्राम, सालब मिश्री 9 ग्राम, खसखस के डोडे 10 ग्राम, काला दाना 20 दाने, लाल तोदरी, पीली तोदरी, लाल बहमन, सफेद बहमन, भंग के पत्ते, सफेद मूसली, काली मूसली प्रत्येक 3 ग्राम।
सबको कूट-छानकर मधु 36 ग्राम मेें मिलाकर केसर 4 ग्राम, कस्तूरी 375 मि.ग्रा. को अर्क बेदमुश्क में घोंटकर बाकी दवाओं में मिलायें।
यह दवा 6 ग्राम की मात्रा में प्रातः 375 ग्राम गाय के दूध के साथ रोगी के खिलायें।
बाद में दूध में मधु 24 ग्राम मिला दिया करें।
3. जायफल, लौंग, जावित्री, मीठे इन्द्रजौ, सौंठ, कौंच के बीजों की गिरी, मस्तगी, औद, लाल बहमन, सफेद बहमन, पीली तोदरी, लाल तोदरी, सफेद मूसली, काली मूसली, शलजम के बीज, प्याज के बीज, दालचीनी, पान की जड़, तालमखाना के बीज, पीपल, गाजर के बीज, सालव मिश्री, शतावरी, छोटी इलायची के बीज, सूखा पोदीना, तबासीर, छोटा गोखरू प्रत्येक 4 ग्राम। सबको कूट-छान लें।
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चिरौंजी की गिरी, छिली हुई नारियल की गिरी, मीठे बादामों की गिरी बिना छिलका, खरबूजे के बीजों की गिरी, पिस्ते की गिरी, अखरोट की गिरी, छुहारा प्रत्येक 6 ग्राम।
सबको पीसकर मधु 250 ग्राम तथा 250 ग्राम खांड की चाश्नी तैयार करके उपरोक्त तमाम दवायें मिलायें।
उसके पश्चात् केसर 3 ग्राम को गुलाब जल में घोंटकर और 50 चांदी के वर्क मिलाकर एक पाक बना लें।
6 से 12 ग्राम तक यह दवा गाय के दूध के साथ खिलायें।
यह दवा मर्दाना शक्ति को बढ़ाने और उत्तेजना देने वाली हृदय, मस्तिष्क और यकृत को शक्ति देने वाली, स्नायु को पुष्ट करने वाली और वीर्य उत्पन्न करने वाली है।
4. बिदारीकन्द का चूर्ण बनाकर रख लें। दो तोला चूर्ण गूलर के स्वरस में मिलाकर चाटें और ऊपर से दूध में घी मिलाकर पी जायें। इससे कामोत्तेजना बढ़ती है।
5. 3 माशा बरगद के वृक्ष की कोपलें, 8 माशा गूलर के वृक्ष की छाल और 6 माशा मिश्री सिल पर पीसकर लुगदी बना लें।
इसे खाकर ऊपर से 250 ग्राम दूध पी लें। इसका 40 दिन तक सेवन करने से स्तम्भन-शक्ति बढ़ती है।
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6. गिलोय का सत और बंशलोचन समभाग मिलाकर पीस लें। दो ग्राम दवा खाने से संभोग अविध में वृद्धि होती है।
7. डेढ़ ग्राम कुलीजन का चूर्ण 10 ग्राम शहद में मिलाकर चाटें, ऊपर से गाय के दूध में शहद मिलाकर पीने से शीघ्रपतन नहीं होता।
8. बरगद के वृक्ष की छाल को सुखाकर बारीक पीस लें तथा इसके बराबर मिश्री मिलाकर रख लें।
6 ग्राम दवा सुबह-शाम गाय के दूध के साथ खाने से गजब की मर्दाना ताकत प्राप्त होती है।
इसके साथ ही अन्य सेक्स समस्यायें जैसे- शीघ्रपतन, स्वप्नदोष आदि रोग भी समाप्त हो जाते हैं।
9. बरगद के कच्चे फलों को छाया में खूब सुखाकर पीस लें। 10 ग्राम दवा सुबह के समय गाय के दूध के साथ लेने से पुरूषों की मर्दाना कमजोरी दूर हो जाती है।
10. देसी बबूल की कोपलों(नरम पत्ती) को सिल पर भली-भांति पीसकर लुगदी बना लें।
लगभग 10 ग्राम लुगदी में उतनी ही(समभाग) मिश्री मिलाकर पुनः सिल पर रगड़ें।
इस मिश्रण को धीरे-धीरे चाट लें। ऊपर से एक गिलास ताजा पानी पी लें।
40 दिन तक प्रतिदिन सुबह के समय इसका सेवन किया जाये तो शारीरिक बल में वृद्धि होती है, स्तम्भन-शक्ति बढ़ती है तथा प्रमेह, स्वप्नदोष आदि विकार भी नष्ट होते हैं।
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11. मोटे और हरे आंवले का स्वरस 10 ग्राम में 40-50 ग्राम शुद्ध शहद मिलाकर प्रतिदिन सुबह समय चाटें।
आंवलों के मौसम में नियमित रूप से 40 दिन तक सेवन करें।
वीर्य विकारों को नष्ट करके धातु को पुष्ट करने की यह आश्चर्यजनक दवा है।
मन-मस्तिष्क तथा स्नायुतंत्र को सबल, सतेज बनाने के लिए यह श्रेष्ठ टाॅनिक है।
12. स्वच्छ और पुष्ट मुलहठी-गाँठ 200 ग्राम लेकर उन्हें कूट-पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। बारीक छलनी या कपड़े में छानकर साफ शीशी में भरकर रख लें। 10 ग्राम चूर्ण में 10 ग्राम देसी घी तथा 5-6 ग्राम शुद्ध शहद मिलाकर चटनी-सी बना लें और नियमित रूप से 3-4 महीने तक सुबह-शाम दोनों समय चाटें। इसके ऊपर से 300 ग्राम गाय का धारोष्ण दूध पीयें। इसके सेवन से धातु पुष्ट होती है तथा स्तम्भन-शक्ति में घी आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि होती है।
13. पीपल के पेड़ की ताजा छाल लेकर उसे खूब साफ करके खरल में कूटकर लुगदी-सी बनाकर किसी मत्र्तवान में रख लें। यह लुगदी रात को 15 ग्राम लेकर 200-250 ग्राम पानी में भिगो दें। रातभर भीग चुकने पर प्रातःकाल उसे पानी में भली-भांति मसलकर फेंक दें और पानी को छानकर निराहार मुख पी लिया करें। 40 दिन सेवन करने पर स्वप्नदोष, प्रमेह ( Diabetes ) आदि व्याधियां नष्ट हो जाती हैं और पाचन-शक्ति तथा स्तम्भन-शक्ति में वृद्धि होती है। दवा सेवन करने के आधा घंटे बाद गाय का धारोष्ण दुग्ध 200-300 ग्राम सेवन कर लिया जाये, तो दवा का प्रभाव बढ़ जाता है।
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